जानिए देश में कहां-कहां हैं ऐतिहासिक रामलीला मैदान, जानें इनका इतिहास और राजनीतिक कनेक्शन
रामलीला मैदान का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के मन में एक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम की छवि उभरती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मैदान का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है? यहां राजनीतिक आयोजन भी होते हैं. उदाहरण के लिए, 20 फरवरी को यहां बीजेपी के नए मुख्यमंत्री का शपथ-ग्रहण समारोह आयोजित होने जा रहा है.

रामलीला मैदान का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के मन में एक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम की छवि उभरती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मैदान का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है? दिल्ली के रामलीला मैदान का एक लंबा इतिहास रहा है और यह न सिर्फ धार्मिक आयोजनों, बल्कि राजनीतिक घटनाओं का भी गवाह बन चुका है. आइए जानते हैं रामलीला मैदानों के इतिहास और उनके वर्तमान के बारे में.
दिल्ली का रामलीला मैदान: ऐतिहासिक महत्व
दिल्ली का रामलीला मैदान मुगलों के अंतिम शासक बहादुर शाह ज़फ़र के शासनकाल से जुड़ा हुआ है. हालांकि, इससे पहले भी इस स्थान पर हिंदू समुदाय द्वारा रामलीला जैसे धार्मिक आयोजन होते थे. बहादुर शाह ज़फ़र के शासन के बाद जब अंग्रेजों का शासन आया, तब दिल्ली के रामलीला मैदान में रामलीला की परंपरा ने साकार रूप लिया. आज भी यह स्थान रामलीला का आयोजन करता है और हर साल दशहरा के अवसर पर यहां रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.
राजनीतिक घटनाओं का गवाह: 20 फरवरी को बीजेपी का शपथ ग्रहण
दिल्ली का रामलीला मैदान केवल धार्मिक आयोजनों का स्थल नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक घटनाओं का भी गवाह बन चुका है. इस मैदान में न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, बल्कि बड़े राजनीतिक आयोजन भी होते हैं. उदाहरण के लिए, 20 फरवरी को यहां बीजेपी के नए मुख्यमंत्री का शपथ-ग्रहण समारोह आयोजित होने जा रहा है, जो राजधानी का भविष्य तय करेगा.
लखनऊ का ऐशबाग रामलीला मैदान: समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास
लखनऊ का ऐशबाग रामलीला मैदान भी ऐतिहासिक महत्व रखता है. यह मैदान 1860 में अस्तित्व में आया, जब वाजिद अली शाह की नवाबी थी. वह समय लखनऊ के लिए सांस्कृतिक और कलात्मक समृद्धि का था. ऐशबाग रामलीला मैदान में रामलीला के आयोजन के अलावा कला और संस्कृति से जुड़े अन्य कार्यक्रम भी होते थे. वाजिद अली शाह ने रामलीला के आयोजन को प्रोत्साहित किया और इस दौरान रंग-बिरंगे मेलों का आयोजन भी किया जाता था. लखनऊ का ऐशबाग रामलीला मैदान आज भी राजनीतिक आयोजनों का स्थल है. 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद यहां स्वतंत्रता संग्राम के आयोजन भी हुए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2016 में इस मैदान में रावण दहन समारोह में भाग लिया था.
गाजियाबाद और गोरखपुर के ऐतिहासिक रामलीला मैदान
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और गोरखपुर के रामलीला मैदान भी ऐतिहासिक महत्व रखते हैं. गाजियाबाद का रामलीला मैदान 1900 में उस्ताद सुल्लामन द्वारा स्थापित किया गया था. यह मैदान जीटी रोड के पास घंटाघर के निकट स्थित है. वहीं, गोरखपुर का रामलीला मैदान लगभग 200 साल पुराना है और यहां का राघव शक्ति मिलन विशेष रूप से प्रसिद्ध है. गोरखपुर का यह मैदान पूरे पूर्वांचल क्षेत्र का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है, जहां हर साल भव्य रामलीला का आयोजन होता है.
जयपुर और सीकर: राजस्थान में भी ऐतिहासिक रामलीला मैदान
राजस्थान के जयपुर और सीकर में भी ऐतिहासिक रामलीला मैदान हैं. जयपुर का रामलीला मैदान न्यूगेट में स्थित है, जहां हर साल रावण दहन और रामलीला का आयोजन होता है. सीकर का रामलीला मैदान शेखावाटी क्षेत्र में स्थित है और यह क्षेत्र विशेष रूप से अपने बड़े रावण के लिए प्रसिद्ध है. यहां सन् 1953 में पहली बार रामलीला का आयोजन हुआ था और तब से यह परंपरा लगातार चली आ रही है.
रामलीला मैदान का महत्व: सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन
रामलीला मैदान का सिर्फ सांस्कृतिक महत्व ही नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक गतिविधियों का भी एक प्रमुख स्थल बन चुका है. चुनाव के समय इन ऐतिहासिक मैदानों में राजनीतिक दलों की रैलियां होती हैं और ये मैदान राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के केंद्र बन जाते हैं. इन मैदानों का इतिहास गवाह है कि ये सांस्कृतिक और राजनीतिक बदलावों के बीच एक बंधन का काम करते हैं.