'अल्लाह की मर्जी से हम..' शेख हसीना का दावा, कहा- मेरी और रेहान की हत्या की साजीश रची गई
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी जान पर हुए हमलों और साजिशों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने खुलासा किया कि सत्ता से बेदखल होते ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी. शेख हसीना ने इसे अल्लाह की मर्जी बताया कि वह अब तक जिंदा हैं और इन साजिशों से बच निकली.

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी जिंदगी के उन खौफनाक पलों का जिक्र किया है, जब उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की जान लेने की साजिश रची गई. सत्ता से बेदखल होने के बाद हुए कई प्रयासों के बावजूद, हसीना ने अल्लाह की रहमत से बचने की बात कही. उन्होंने अपनी पार्टी, बांग्लादेश अवामी लीग के फेसबुक पेज पर साझा एक ऑडियो संदेश में बताया कि कैसे वह मौत के मुंह से बच निकली.
शेख हसीना ने कहा, "21 अगस्त की हत्याओं से बचना, कोटालीपारा में बम से बच जाना और 5 अगस्त, 2024 को जीवित रहना सिर्फ अल्लाह की मर्जी से हुआ." हसीना ने इस दौरान खुलासा किया कि सत्ता से बेदखल होते ही उनकी हत्या की कई साजिशें रची गई थी, लेकिन वह हर बार बच निकली.
सत्ता से बेदखल और हत्या की साजिशें
76 वर्षीय शेख हसीना को अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता से हटा दिया गया था. इस दौरान हुई झड़पों में 600 से अधिक लोग मारे गए. सत्ता से हटने के बाद, हसीना भारत चली गईं और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की देखरेख में एक अंतरिम सरकार बनाई गई.
21 अगस्त 2004: ढाका ग्रेनेड हमला
21 अगस्त, 2004 को ढाका के बंगबंधु एवेन्यू पर अवामी लीग की आतंकवाद विरोधी रैली में ग्रेनेड हमला हुआ. इस हमले में 24 लोग मारे गए और 500 से अधिक घायल हुए. शेख हसीना, जो उस समय विपक्ष की नेता थी ट्रक से भाषण समाप्त करने के बाद हमले में बाल-बाल बच गईं.
कोटालीपारा बम कांड
21 जुलाई, 2000 को कोटालीपारा में 76 किलो का बम बरामद हुआ, और दो दिन बाद 40 किलो का एक और बम मिला. यह साजिश हसीना को 22 जुलाई, 2000 को एक रैली में निशाना बनाने के लिए रची गई थी. इस हमले की योजना के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा, "यह अल्लाह की दया थी कि मैं बच गई."
हमारी जान लेने की हर मुमकिन कोशिश हुई"
शेख हसीना ने अपने ऑडियो संदेश में कहा, "रेहाना और मैं सिर्फ 20-25 मिनट के अंतर से बच गए. यह अल्लाह की मर्जी थी कि हम जिंदा रहे. मैं अपने देश से दूर, अपने घर से दूर, सब कुछ खोने के बाद भी जीवित हूं."
अल्लाह की दया और संघर्ष की कहानी
शेख हसीना ने अपने संदेश में उन कठिन परिस्थितियों को याद किया, जब उन्हें बार-बार जान से मारने की साजिशों का सामना करना पड़ा. उनकी कहानी बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है.