खनिजों की सप्लाई के बदले शिक्षा का दरवाज़ा खुला: ट्रंप का चीन के साथ समझौता
ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की है कि चीन के साथ एक नया समझौता हो गया है. इस समझौते के तहत चीन अमेरिका को दुर्लभ खनिजों और चुम्बकीय तत्वों की आपूर्ति करेगा, जबकि अमेरिका अपनी यूनिवर्सिटीज़ और कॉलेजों में चीनी छात्रों को प्रवेश की अनुमति देगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को घोषणा की है कि चीन ने अमेरिका को दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Elements) की आपूर्ति करने पर सहमति जताई है. ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि अमेरिका और चीन के बीच संबंध बहुत अच्छे हैं. उन्होंने बताया कि अमेरिका को कुल 55% टैरिफ मिल रहा है, जबकि चीन को केवल 10%. इस नए समझौते के तहत चीन अमेरिका को पूर्ण मैग्नेट और आवश्यक दुर्लभ खनिज पहले देगा, जबकि अमेरिका कुछ रियायतों के रूप में चीनी छात्रों को अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की अनुमति देगा. यह समझौता अभी ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अंतिम मंजूरी का इंतजार कर रहा है.
5 जून को हुई फोन पर बातचीत
यह घोषणा लंदन में दो दिन तक चली उच्च स्तरीय व्यापार वार्ता के बाद आई है, जिसमें दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने एक प्रारंभिक समझौते पर सहमति बनाई. अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक ने बताया कि उन्होंने जिनेवा में हुई सहमति और दोनों राष्ट्रपतियों के बीच बातचीत के आधार पर एक कार्य योजना तैयार की है. इसी तरह, चीन के उप वाणिज्य मंत्री ली चेंगगैंग ने भी कहा कि दोनों पक्षों ने 5 जून को हुई फोन बातचीत और जिनेवा बैठक में बनी सहमति को लागू करने के लिए एक रूपरेखा तय की है.
⚡️ Trump says China trade deal CLOSED
— RT (@RT_com) June 11, 2025
Awaiting final approval from him and XI pic.twitter.com/qBNqBMr1ja
चीन का दुर्लभ खनिजों पर वैश्विक प्रभुत्व चिंता का विषय है. चीन दुनिया के 60% कच्चे उत्पादन और 90% प्रसंस्करण पर नियंत्रण रखता है, जो रक्षा, इलेक्ट्रिक वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. अमेरिकी अधिकारी इस संसाधनों पर चीन के नियंत्रण को लंबी अवधि में रणनीतिक खतरे के रूप में देखते हैं.
अमेरिका के वाणिज्य सचिव ने क्या कहा?
अमेरिका के वाणिज्य सचिव ने कहा कि यह समझौता दुर्लभ खनिजों पर चीन के प्रतिबंधों को कम करने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस समझौते को ट्रम्प और शी जिनपिंग की मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही लागू कर दिया जाएगा. दोनों नेताओं के बीच हुई उच्च स्तरीय बातचीत ने इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.