भारत में रह रही पूर्व PM शेख हसीना...लौटना चाहती हैं बांग्लादेश, पर रख दी ये बड़ी शर्त
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शनों के बाद अगस्त 2024 में पद से इस्तीफा देकर भारत में शरण ली. नई दिल्ली में रहकर उन्होंने अवामी लीग की वापसी, आगामी चुनाव और परिवार के खिलाफ आपराधिक आरोपों पर खुलकर बात की.

नई दिल्ली : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पिछले साल अगस्त में ढाका में भड़की हिंसा के बाद पद छोड़ दिया था. प्रदर्शनकारियों के उनके आवास तक पहुंचने पर वे हेलिकॉप्टर से भारत आईं और तब से नई दिल्ली में रह रही हैं. 78 वर्षीय हसीना ने कहा कि वे दिल्ली में सुरक्षित हैं, लेकिन 1975 में अपने पिता और तीन भाइयों की हत्या के बाद से राजनीतिक घटनाओं को लेकर सतर्क रहती हैं.
अवामी लीग की वापसी और लोकतंत्र पर जोर
वापसी की शर्तें और चुनावी चेतावनी
हसीना ने कहा कि वह तभी बांग्लादेश लौटेंगी जब वहां वैध सरकार और संवैधानिक शासन होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अवामी लीग को 2026 के आम चुनाव में भाग लेने से रोका गया, तो करोड़ों समर्थक चुनाव का बहिष्कार करेंगे. उन्होंने कहा, “अगर हमें चुनाव लड़ने नहीं दिया गया, तो लोकतंत्र का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.”
यूनुस की अंतरिम सरकार सत्ता में...
बांग्लादेश में फिलहाल नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार सत्ता में है. इस सरकार ने फरवरी 2026 में आम चुनाव कराने का वादा किया है. लेकिन इसी बीच, मई 2025 में चुनाव आयोग ने अवामी लीग का पंजीकरण निलंबित कर दिया था. हसीना ने कहा, “हम किसी पार्टी को वोट देने का निर्देश नहीं दे रहे, बस इतना चाहते हैं कि हमें भाग लेने का अधिकार मिले.”
प्रदर्शनों में 1,400 से अधिक लोग मारे गए थे
बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने हसीना पर 2024 के छात्र प्रदर्शनों के दौरान हिंसा फैलाने, विपक्षी कार्यकर्ताओं के अपहरण और टॉर्चर के आरोप लगाए हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, उन प्रदर्शनों में 1,400 से अधिक लोग मारे गए थे. हसीना ने इन आरोपों को “राजनीतिक साजिश” बताया और कहा कि यह “कंगारू कोर्ट” का फैसला है, जिसमें पहले से दोष तय किया गया है.
लोकतंत्र की बहाली की अपील
शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश तभी स्थिर हो सकता है जब वहां संविधान का सम्मान किया जाए और सभी राजनीतिक दलों को समान अधिकार मिले. उन्होंने कहा, “यह मेरे परिवार की नहीं, बल्कि मेरे देश की लड़ाई है. मैं लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए लड़ती रहूंगी.”


