कब मनाई जाएगी गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, जानिए व्रत का महत्व

हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है.अगहन या मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है.इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा और व्रत का बड़ा महत्व है.ऐसा माना जाता है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है.किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश के पूजन से होती है. हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है. अगहन या मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा और व्रत का बड़ा महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से जीवन के सभी संकट और दुख दूर हो जाते हैं. सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

जानिए पूरी जानकारी

आपको बता दें कि साल 2025 में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी आगामी 8 नवंबर को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत रखने, भगवान गणेश की पूजा करने और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष नियम होता है. इसलिए व्रत और पूजा 8 नवंबर को करना शुभ रहेगा. चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 8 नवंबर को सुबह 07:32 बजे होगा, जबकि चतुर्थी तिथि का समापन 9 नवंबर को सुबह 04:25 बजे होगा. वहीं, चंद्रोदय (चंद्र दर्शन) का समय शाम 08:01 बजे के बाद से होगा. 

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा विधि

1. स्नान और संकल्प: प्रातः काल स्नान कर साफ वस्त्र पहनें. पूजा स्थल को स्वच्छ करें और हाथ में जल, फूल व अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें.
2. गणेश स्थापना:     एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर रखें.
3. पूजन सामग्री:       गणेश जी को रोली, अक्षत, दूर्वा घास, फूल, चंदन और माला अर्पित करें.
4. भोग:                  मोदक या लड्डू का भोग लगाएं, क्योंकि यह गणेश जी को अत्यंत प्रिय है.
5. पाठ और मंत्र:      गणेश चालीसा या संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें और “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें.
6. उपवास:             दिनभर फलाहार या निर्जला व्रत रखें.
7. चंद्रोदय के बाद पूजा: रात में चंद्रोदय होने पर पुनः गणेश जी की आरती करें और चंद्रमा को जल, दूध और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें.
8. व्रत पारण:         चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलें और सात्विक भोजन ग्रहण करें.

व्रत का महत्व

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी को संकटों को दूर करने वाला व्रत कहा गया है. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी बाधाएं समाप्त होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है. यह व्रत विशेष रूप से चंद्र दोष को शांत करने वाला माना जाता है. भगवान गणेश बुद्धि और ज्ञान के देवता हैं, इसलिए उनकी आराधना से मन की अशांति दूर होती है और विवेक की प्राप्ति होती है. इस प्रकार गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता, सुख और समृद्धि भी लाता है.
 

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05 November 2025, 06:30 PM IST

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