उलेमा-ए-हिंद ने पास किया सरस्वती वंदना के विरोध विरोध का प्रस्ताव, BJP विधायक ने कहा- अक्ल के दुश्मन
Saraswati Vandana: देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में पास हुए प्रस्ताव को लेकर देश में सियासत गरमाने लगी है. कई नेताओं के बयान के बाद इसपर मध्य प्रदेश के बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा का बयान आया है. उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद को ही अक्ल का दुश्मन करार दिया है. आइये जानें पूरा मामला क्या है और मुस्लिम धर्म गुरुओं ने इसपर क्या कहा है?

Saraswati Vandana: कुछ दिन पहले मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपने अधिवेशन में एक प्रस्ताव पास किया. इसमें कहा गया कि मुस्लिम छात्रों को सरस्वती वंदना और सूर्य नमस्कार का विरोध करना चाहिए. इसे लेकर मुस्लिम धर्मगुरु सुफियान निजामी का बयान भी आया है. जिसमें उन्होंने छात्रों से अपने धर्म का पालन करने की अपील की है. अब इस मामले में सियासत भी होने लगी है. कोई इसे धार्मिक स्वतंत्रता बता रहा है तो कोई इसका विरोध करते हुए संगठन को ही अक्ल का दुश्मन करार दे रहा है.
कभी आधुनिक शिक्षा की पैरोकारी वाली जमीयत उलेमा-ए-हिंद अब सरस्वती वंदना, धार्मिक गीतों और सूर्य नमस्कार के विरोध की बात करने लगी है. इसके लिए वो छात्रों से लगातार अपील कर है. इसी की परिणाम था कि अधिवेशन में सरस्वती वंदना को लेकर प्रस्ताव पास किया गया है.
विधायक की कड़ी प्रतिक्रिया
मध्य प्रदेश भाजपा के विधायक रामेश्वर शर्मा ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में पास हुए प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जो अक्ल के दुश्मन हैं, वे मां सरस्वती की पूजा कैसे कर सकते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि भारत में पैदा हुए लोगों को माता सरस्वती की पूजा करना चाहिए. क्योंकि, ये हमारी सभ्यता और संस्कृति है.
धर्मगुरु ने कहा- संविधान में आजादी
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुस्लिम धर्मगुरु सुफियान निजामी ने भी इसपर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में सभी धर्मों को अपने रिवाज पालन करने का अधिकार है. इस्लाम हमें केवल अल्लाह की इबादत करना और उसमें शरीक होना सिखाता है. इसी कारण मुसलमान बच्चों और छात्रों को सूर्य नमस्कार या किसी अन्य इबादत में शामिल नहीं होना चाहिए.
सुफियान निजामी का मानना है कि सरस्वती वंदना, धार्मिक गीत और सूर्य नमस्कार अधार्मिक हैं. ये मुस्लिम छात्रों के धार्मिक विश्वासों के खिलाफ हैं. हमें किसी और धर्म से कोई समस्या नहीं है लेकिन ये सब मुस्लिम छात्रों को उनकी संस्कृति से दूर करती हैं.