मंगल पांडे: भारत में स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी


2025/07/19 15:50:46 IST

मंगल पांडे का जन्मदिन

    मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम दिवाकर पांडेय था.

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22 साल की उम्र में सेना में भर्ती

    सिर्फ 22 साल की उम्र में मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34वीं बटालियन में सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे और उनकी तैनाती बैरकपुर छावनी (अब कोलकाता के पास) में हुई थी.

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1857 में विद्रोह की चिंगारी

    1857 की क्रांति की शुरुआत मंगल पांडे ने की. उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दी गई इनफील्ड राइफल के कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी मिलने की खबर पर विरोध जताया, जिससे सैनिकों में असंतोष फैल गया.

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29 मार्च की घटना

    29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने बैरकपुर छावनी में अंग्रेज अफसरों पर हमला किया और विद्रोह के लिए सैनिकों को उकसाया. उन्होंने धर्मभ्रष्ट होने की बात कहकर कारतूस का विरोध किया.

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विश्वासघात और आत्महत्या की कोशिश

    साथी सिपाही शेख पलटू ने मंगल पांडे को पकड़वाया. खुद को बचाने के लिए मंगल पांडे ने अपनी ही बंदूक से खुद को गोली मार ली, लेकिन वह जानलेवा नहीं साबित हुई.

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फांसी की सजा

    अंग्रेजों ने उन्हें 6 अप्रैल को फांसी की सजा सुनाई. तय तारीख 18 अप्रैल थी, लेकिन विद्रोह के डर से 8 अप्रैल 1857 को ही फांसी दे दी गई.

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अंतिम क्षण

    बैरकपुर छावनी के परेड ग्राउंड में सुबह-सुबह कलकत्ता से बुलाए गए जल्लादों ने उन्हें फांसी दी. उन्होंने 30 साल की उम्र में बलिदान दिया.

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विरासत और प्रेरणा

    मंगल पांडे की कुर्बानी ने देश में स्वतंत्रता की भावना को मजबूत किया और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी. भले ही वह विद्रोह असफल रहा, लेकिन यह आगे की क्रांतियों की प्रेरणा बन गया.

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