इस्लाम धर्म में हरे रंग को क्यों माना जाता है पाक, जानिए इसके पीछे की कहानी
इस्लाम में हरे रंग का महत्व
आखिर इस्लाम में हरे रंग का इतना महत्व क्यों है. इसके पीछे की कहानी क्या है. क्या कुछ धार्मिक मान्यताओं के चलते हरे रंग को चुना गया या इसके पीछे कोई विज्ञान छुपा है.
Credit: googleपवित्र किताब कुरान
इस्लाम की सबसे पवित्र किताब कुरान की सूरह इंसान की आयत नंबर 21 में अल्लाह ने जन्नती लोगों का लिबास हरा बताया है.
Credit: googleसुनन अबू दाऊद में लिखा
इसके अलावा इसे लेकर हदीस के संग्रह की किताब- सुनन अबू दाऊद में लिखा गया है: हज़रत अबु रमसा (रज़ी) बयान करते हैं कि मैं अपने पिता के साथ पैगंबर मोहम्मद (उन पर शांति हो) के यहां गया तो मैंने आप (पैगंबर मोहम्मद) पर सब्ज़ (हरा) रंग की धारीदार दो चादरें देखीं.
Credit: google हरा रंग पवित्र
इस्लामिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरा रंग पवित्र तो माना ही जाता है, इसके अलावा विज्ञान के पास भी हरे रंग के को लेकर कुछ तर्क हैं.
Credit: googleविज्ञान के हिसाब से हरे रंग को समझिए
दरअसल, हरा रंग विज़ुअल स्पेक्ट्रम में 520-570 नैनोमीटर के तरंगदैर्ध्य के बीच आता है. यह तरंगदैर्ध्य इंसानों की आंखों के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है.
Credit: googleहरे रंग की रोशनी
इसके अलावा हरे रंग की रोशनी का अधिकतम मात्रा में अवशोषण होता है, जिससे आंखों को कम तनाव महसूस होता है.
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