कच्चातिवु द्वीप पर सियासत क्यों, क्या है इसका इतिहास


2024/04/01 08:57:35 IST

श्रीलंका के बीच एक द्वीप

    लोकसभा चुनाव में कुछ ही हफ्ते बचे हैं और भारत और श्रीलंका के बीच एक द्वीप को लेकर सियासत गर्मा गई है.

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कच्चातिवु द्वीप

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 1974 में श्रीलंका को सौंपे गए कच्चातिवु द्वीप को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला था.

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कांग्रेस का दावा

    इसके जवाब में कांग्रेस ने दावा किया कि चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी इस मुद्दे को उठा रहे हैं जो उनकी "हताशा" को दर्शाता है.

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दक्षिणी छोर पर बना

    यह द्वीप हिंद महासागर के दक्षिणी छोर पर बना है. भारत के दृष्टिकोण से देखें तो ये रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच में बना है.

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285 एकड़ में फैला

    285 एकड़ में फैला ये द्वीप 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामानंद के राज्य का हिस्साथा. अंग्रेजों के शासन में ये मद्रास प्रेसीडेंसी के कब्जे में आया.

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मछली पकड़ना

    फिर साल 1921 में भारत और श्रीलंका दोनों देशों ने मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप पर अपना दावा ठोका...

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चार समझौते हुए

    भारत की आजादी के बाद समुद्र की सीमाओं को लेकर चार समझौते हुए. ये समझौते 1974 से 1976 के बीच हुए थे.

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1974 में समझौता

    साल 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका के राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके ने इस द्वीप को लेकर एक समझौता किया.

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कोलंबो और दिल्ली में हुई बातचीत

    26 जून, 1974 और 28 जून 1974 में दोनों देशों के बीच दो दौर की वार्ता हुई. ये वार्ता कोलंबो और दिल्ली में हुई थी.

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श्रीलंका को सौंपा गया

    बातचीत के बाद कुछ शर्तों पर सहमति बनी, इसके बाद ही इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया था.

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