कच्चातिवु द्वीप पर सियासत क्यों, क्या है इसका इतिहास
श्रीलंका के बीच एक द्वीप
लोकसभा चुनाव में कुछ ही हफ्ते बचे हैं और भारत और श्रीलंका के बीच एक द्वीप को लेकर सियासत गर्मा गई है.
Credit: Social Mediaकच्चातिवु द्वीप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 1974 में श्रीलंका को सौंपे गए कच्चातिवु द्वीप को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला था.
Credit: Social Mediaकांग्रेस का दावा
इसके जवाब में कांग्रेस ने दावा किया कि चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी इस मुद्दे को उठा रहे हैं जो उनकी "हताशा" को दर्शाता है.
Credit: Social Media दक्षिणी छोर पर बना
यह द्वीप हिंद महासागर के दक्षिणी छोर पर बना है. भारत के दृष्टिकोण से देखें तो ये रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच में बना है.
Credit: Social Media285 एकड़ में फैला
285 एकड़ में फैला ये द्वीप 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामानंद के राज्य का हिस्साथा. अंग्रेजों के शासन में ये मद्रास प्रेसीडेंसी के कब्जे में आया.
Credit: Social Media मछली पकड़ना
फिर साल 1921 में भारत और श्रीलंका दोनों देशों ने मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप पर अपना दावा ठोका...
Credit: Social Mediaचार समझौते हुए
भारत की आजादी के बाद समुद्र की सीमाओं को लेकर चार समझौते हुए. ये समझौते 1974 से 1976 के बीच हुए थे.
Credit: Social Media1974 में समझौता
साल 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका के राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके ने इस द्वीप को लेकर एक समझौता किया.
Credit: Social Mediaकोलंबो और दिल्ली में हुई बातचीत
26 जून, 1974 और 28 जून 1974 में दोनों देशों के बीच दो दौर की वार्ता हुई. ये वार्ता कोलंबो और दिल्ली में हुई थी.
Credit: Social Mediaश्रीलंका को सौंपा गया
बातचीत के बाद कुछ शर्तों पर सहमति बनी, इसके बाद ही इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया था.
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