आ फिर मुझे छोड़ जाने के लिए आ...पढ़ें दर्द भरी शायरी


2024/04/28 13:17:27 IST

चैन

    ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता, एक ही शख़्स था जहान में क्या

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उम्मीद

    हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

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ज़िक्र

    चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का, सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही

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बेवफ़ाई

    इक अजब हाल है कि अब उस को,   याद करना भी बेवफ़ाई है  

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मजबूरियाँ

    कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

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बेवफ़ाई

    नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़, गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो

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ग़म

    तिरे सुलूक का ग़म सुब्ह-ओ-शाम क्या करते, ज़रा सी बात पे जीना हराम क्या करते

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