Ahmad Faraz: जब भी दिल खोल के रोए होंगे, लोग आराम से सोए होंगे...पढ़ें आज के कुछ चुनिंदा शेर


2024/02/02 22:50:11 IST

दिलकशी

    क़ुर्बतें लाख ख़ूब-सूरत हों, दूरियों में भी दिलकशी है अभी

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दोस्त

    तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़', दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला

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दुनिया

    हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम, कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी

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वक़्त

    आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा, वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा

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ख़फ़ा

    किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम, तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ

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फूल

    अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

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