बोझ उठाना शौक़ कहां है मजबूरी का सौदा है.....पढ़ें मुन्नावर राणा के कुछ चुनिंदा शेर
गांव से रिश्ता
तो अब इस गांव से रिश्ता हमारा खत्म होता है फिर आंखें खोल ली जाए कि सपना खत्म होता है.
इश्क
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए, इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए.
जिंदगी
जिंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें, टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए.
मकान
बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग, एक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी
घर
तेरे एहसास की ईंटें लगी है इमारत में हमारा घर तेरे घर से कभी ऊँचा नहीं होगा.
चादर
कोई चादर वफ़ा नहीं करती है, वक्त जब खींचतान करता है.
मंजिल
मंजिल करीब आते ही एक पांव कट गया चौड़ी हुई सड़क तो मेरा गांव कट गया...
View More Web Stories