चेहरे पे मिरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन, पढ़ें कुछ चुनिंदा शेर
ज़ुल्फ़
चेहरे पे मिरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन,
क्या रोज़ गरजते हो बरस जाओ किसी दिन
Credit: Social Mediaज़ख़्म
भर जाएँगे जब ज़ख़्म तो आऊँगा दोबारा,
मैं हार गया जंग मगर दिल नहीं हारा
Credit: Social Mediaशहजादी
शहजादी तुझे कौन बताए तेरे चराग़-कदे तक,
कितनी मेहराबें पड़ती हैं कितने दर आते हैं
Credit: Social Mediaकशिश
मौत के दरिंदे में इक कशिश तो है 'सरवत',
लोग कुछ भी कहते हों ख़ुद-कुशी के बारे में
Credit: Social Mediaगहरा
मिट्टी पे नुमूदार हैं पानी के ज़ख़ीरे,
इन में कोई औरत से ज़ियादा नहीं गहरा
Credit: Social Mediaरूह की प्यास
बुझी रूह की प्यास लेकिन सखी,
मिरे साथ मेरा बदन भी तो है
Credit: Social Mediaख़ुद
क्या हो जाता है इन हँसते जीते जागते लोगों को,
बैठे बैठे क्यूँ ये ख़ुद से बातें करने लगते हैं
Credit: Social Media View More Web Stories