इस नहीं का कोई इलाज नहीं, रोज़ कहते हैं आप आज नहीं, पढ़ें दाग़ देहलवी के चुनिंदा शेर
दाग़ देहलवी
मिलाते हो उसी ख़ाक में जो दिल से मिलता है, मिरी जाँ चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है.
Credit: pixabayदाग़ देहलवी
हमें है शौक़ कि बे-पर्दा तुम को देखेंगे, तुम्हें है शर्म तो आँखों पे हाथ धर लेना
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हज़ारों काम मोहब्बत में हैं मज़े के 'दाग़', जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं
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दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे, जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे
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शब-ए-विसाल है गुल कर दो इन चराग़ों को , ख़ुशी की बज़्म में क्या काम जलने वालों का
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तुम्हारा दिल मिरे दिल के बराबर हो नहीं सकता, वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता
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