Kaifi Azmi Ghazal:


2023/11/11 21:42:47 IST

कैफ़ी आज़मी की ग़ज़ल

    शोर यूँही न परिंदों ने मचाया होगा, कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा.

कैफ़ी आज़मी की ग़ज़ल

    पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था, जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा.

कैफ़ी आज़मी की ग़ज़ल

    बानी-ए-जश्न-ए-बहाराँ ने ये सोचा भी नहीं, किस ने काँटों को लहू अपना पिलाया होगा.

कैफ़ी आज़मी की ग़ज़ल

    बिजली के तार पे बैठा हुआ हँसता पंछी, सोचता है कि वो जंगल तो पराया होगा.

कैफ़ी आज़मी की ग़ज़ल

    अपने जंगल से जो घबरा के उड़े थे प्यासे, हर सराब उन को समुंदर नज़र आया होगा.

कैफ़ी आज़मी की पहली ग़ज़ल

    कैफ़ी आज़मी ने 11 साल की उम्र में अपनी पहली ग़ज़ल लिखी थी.

मुशायरे में शामिल

    कैफ़ी आज़मी किशोर होते-होते मुशायरे में शामिल होने लगे थे

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