Maykada Shayari: मयकदे पर कहे गए मशहूर शायरों के कुछ चुनिंदा अल्फाज़...
फ़िराक़ गोरखपुरी
आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़'..
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए..!!
ख़ुमार बाराबंकवी
गुज़रे हैं मय-कदे से जो तौबा के ब'अद हम..
कुछ दूर आदतन भी क़दम डगमगाए हैं..!!
नज़ीर अकबराबादी
दूर से आए थे साक़ी सुन के मय-ख़ाने को हम..
बस तरसते ही चले अफ़्सोस पैमाने को हम..!!
असग़र गोंडवी
एक ऐसी भी तजल्ली आज मय-ख़ाने में है..
लुत्फ़ पीने में नहीं है बल्कि खो जाने में है..!!
अख़्तर शीरानी
दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी..
'अख़्तर' वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए..!!
बशीर बद्र
प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँ..
मय-कदे में कोई छोटा न बड़ा जाम उठा..!!
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
शैख़ उस की चश्म के गोशे से गोशे हो कहीं..
उस तरफ़ मत जाओ नादाँ राह मय-ख़ाने की है..!!
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