परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है...पढ़ें मोटिवेशन शायरी


2024/09/30 14:01:41 IST

दुख

    और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा, राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

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हुस्न

    मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफाजत कर, संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है

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सूराख़

    कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो

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तक़दीर

    ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले, ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

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अकेला

    मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

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दुश्मनी

    दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों

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ग़म

    दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

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अफ़्साना

    वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा

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