तिरी ख़ुशबू मिरी चादर से नहीं जाती है... Perfume Day पर बेहतरीन शेर


2024/02/17 12:03:05 IST

इफ़्तिख़ार आज़मी

    हुस्न यूँ इश्क़ से नाराज़ है अब फूल ख़ुश्बू से ख़फ़ा हो जैसे

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अहमद वसी

    वो करे बात तो हर लफ़्ज़ से ख़ुश्बू आए ऐसी बोली वही बोले जिसे उर्दू आए

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गुलज़ार

    ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

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बद्र वास्ती

    अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियाँ गुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं

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बशीर बद्र

    मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता

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क़तील शिफ़ाई

    यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना

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राहत इंदौरी

    इक मुलाक़ात का जादू कि उतरता ही नहीं तिरी ख़ुशबू मिरी चादर से नहीं जाती है

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