Urdu Shayari:यूँ न क़ातिल को जब यक़ीं आया, हम ने दिल खोल कर दिखाई चोट
मिर्ज़ा ग़ालिब
की मिरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबा, हाए उस ज़ूद-पशीमाँ का पशीमाँ होना
Credit: pinterest साहिर लुधियानवी
ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता है, ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा
Credit: pinterestमज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
ख़ुदा के वास्ते इस को न टोको, यही इक शहर में क़ातिल रहा है
Credit: pinterestइरफ़ान सिद्दीक़ी
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ, तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ
Credit: pinterestइक़बाल अज़ीम
क़ातिल ने किस सफ़ाई से धोई है आस्तीं, उस को ख़बर नहीं कि लहू बोलता भी है
Credit: pinterestहकीम मंज़ूर
शहर के आईन में ये मद भी लिक्खी जाएगी, ज़िंदा रहना है तो क़ातिल की सिफ़ारिश चाहिए
Credit: pinterest फ़ानी बदायुनी
यूँ न क़ातिल को जब यक़ीं आया, हम ने दिल खोल कर दिखाई चोट
Credit: pinterestअमीर क़ज़लबाश
क़त्ल हो तो मेरा सा मौत हो तो मेरी सी, मेरे सोगवारों में आज मेरा क़ातिल है
Credit: pinterest View More Web Stories