कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है... राजनीति पर बेहतरीन शायरी


2024/04/26 14:14:15 IST

बशीर बद्र

    दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों

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निदा फ़ाज़ली

    हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना

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राहत इंदौरी

    नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है

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मुनव्वर राना

    एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है, तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना

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इरतिज़ा निशात

    कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है, कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते

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शकील बदायूनी

    काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर, फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ

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मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

    देखोगे तो हर मोड़ पे मिल जाएँगी लाशें, ढूँडोगे तो इस शहर में क़ातिल न मिलेगा

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