कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है... राजनीति पर बेहतरीन शायरी
बशीर बद्र
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
Credit: Social Mediaनिदा फ़ाज़ली
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी,
जिस को भी देखना हो कई बार देखना
Credit: Social Mediaराहत इंदौरी
नए किरदार आते जा रहे हैं,
मगर नाटक पुराना चल रहा है
Credit: Social Mediaमुनव्वर राना
एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है,
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना
Credit: Social Mediaइरतिज़ा निशात
कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है,
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते
Credit: Social Mediaशकील बदायूनी
काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर,
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ
Credit: Social Mediaमलिकज़ादा मंज़ूर अहमद
देखोगे तो हर मोड़ पे मिल जाएँगी लाशें,
ढूँडोगे तो इस शहर में क़ातिल न मिलेगा
Credit: Social Media View More Web Stories