मां पर कहे गए उर्दू शायर गुलज़ार के पढ़े शेर


2024/02/17 17:02:17 IST

उर्दू शायर गुलज़ार

    चलती फिरती आंखों से अज़ां देखी है मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है

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उर्दू शायर गुलज़ार

    जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है

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उर्दू शायर गुलज़ार

    मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना

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उर्दू शायर गुलज़ार

    लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती

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उर्दू शायर गुलज़ार

    मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं

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