मां पर कहे गए उर्दू शायर गुलज़ार के पढ़े शेर
उर्दू शायर गुलज़ार
चलती फिरती आंखों से अज़ां देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है
Credit: Googleउर्दू शायर गुलज़ार
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है
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मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू
मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
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लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
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मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं
मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं
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