ये सदी धूप को तरसती है...पढ़ें दर्द पर लिखें कैफ़ी आज़मी के बेहतरीन शेर....


2024/06/08 23:34:39 IST

बस इक झिजक है

    बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में, कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में

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इतना तो ज़िंदगी में किसी के

    इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े, हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े

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कोई तो सूद चुकाए

    कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले, उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है

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पेड़ के काटने वालों को

    पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था, जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा

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बहार आए तो मेरा सलाम

    बहार आए तो मेरा सलाम कह देना, मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने

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जो इक ख़ुदा नहीं मिलता

    जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूं, यहां तो कोई मिरा हम-ज़बां नहीं मिलता

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अब जिस तरफ़ से चाहे

    अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवां, वीरानियां तो सब मिरे दिल में उतर गईं

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