एहसान-ए-रब मोहब्बतें इतनी मिलीं अदील, पढ़ें एहसान पर शेर
जलील मानिकपूरी
सच है एहसान का भी बोझ बहुत होता है, चार फूलों से दबी जाती है तुर्बत मेरी
Credit: freepikहफ़ीज़ जालंधरी
हम से ये बार-ए-लुत्फ़ उठाया न जाएगा, एहसाँ ये कीजिए कि ये एहसाँ न कीजिए
Credit: freepikअकबर इलाहाबादी
ये है कि झुकाता है मुख़ालिफ़ की भी गर्दन, सुन लो कि कोई शय नहीं एहसान से बेहतर
Credit: freepikजलाल लखनवी
जिस ने कुछ एहसाँ किया इक बोझ सर पर रख दिया, सर से तिनका क्या उतारा सर पे छप्पर रख दिया
Credit: freepikज़हीर देहलवी
सर पे एहसान रहा बे-सर-ओ-सामानी का, ख़ार-ए-सहरा से न उलझा कभी दामन अपना
Credit: freepikहिमायत अली शाएर
इस दश्त पे एहसाँ न कर ऐ अब्र-ए-रवाँ और, जब आग हो नम-ख़ुर्दा तो उठता है धुआँ और
Credit: freepikअमीता परसुराम मीता
मिले क़तरा क़तरा ये क्या ज़िंदगी है, ऐ दरिया-ए-रहमत वही तिश्नगी है
Credit: freepik View More Web Stories