पढ़ें पीरज़ादा क़ासिम के इश्क पर लिखे बेहतरीन शेर...


2024/04/28 20:55:04 IST

अब तो मेरा दुश्मन भी

    अब तो मेरा दुश्मन भी मेरी तरह रोता है, कुछ गिले तो कम होंगे साथ-साथ रोने से

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ज़िंदग़ी ने झेले हैं

    ज़िंदग़ी ने झेले हैं सब अज़ाब दुनिया के, बस रहे हैं आँखों में फिर भी ख़्वाब दुनिया के

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हमारी तरह कोई दूसरा

    हमारी तरह कोई दूसरा हुआ भी नहीं, वो दर्द दिल में रखा है जो लादवा भी नहीं

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उसकी ख़्वाहिश है कि

    उसकी ख़्वाहिश है कि अब लोग न रोएं न हंसें, बेहिसी वक़्त की आवाज़ बना दी जाए

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सिर्फ जलना ही नहीं हमको

    सिर्फ जलना ही नहीं हमको भड़कना भी तो है, इश्क़ की आग को लाजिम है हवा दी जाए

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मेरी लहू की बहार

    ये लोग भूल गए क्या मेरी लहू की बहार, जो कह रहें हैं मेरी दास्तां में कुछ भी नहीं

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रुसवाई का मेला था

    रुसवाई का मेला था सो मैंने नहीं देखा, अपना ही तमाशा था सो मैंने नहीं देखा

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