पढ़ें पीरज़ादा क़ासिम के इश्क पर लिखे बेहतरीन शेर...
अब तो मेरा दुश्मन भी
अब तो मेरा दुश्मन भी मेरी तरह रोता है, कुछ गिले तो कम होंगे साथ-साथ रोने से
Credit: Googleज़िंदग़ी ने झेले हैं
ज़िंदग़ी ने झेले हैं सब अज़ाब दुनिया के, बस रहे हैं आँखों में फिर भी ख़्वाब दुनिया के
Credit: Googleहमारी तरह कोई दूसरा
हमारी तरह कोई दूसरा हुआ भी नहीं, वो दर्द दिल में रखा है जो लादवा भी नहीं
Credit: Googleउसकी ख़्वाहिश है कि
उसकी ख़्वाहिश है कि अब लोग न रोएं न हंसें, बेहिसी वक़्त की आवाज़ बना दी जाए
Credit: Googleसिर्फ जलना ही नहीं हमको
सिर्फ जलना ही नहीं हमको भड़कना भी तो है, इश्क़ की आग को लाजिम है हवा दी जाए
Credit: Googleमेरी लहू की बहार
ये लोग भूल गए क्या मेरी लहू की बहार, जो कह रहें हैं मेरी दास्तां में कुछ भी नहीं
Credit: Googleरुसवाई का मेला था
रुसवाई का मेला था सो मैंने नहीं देखा, अपना ही तमाशा था सो मैंने नहीं देखा
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