पुराने हैं ये सितारे फ़लक भी फ़र्सूदा....पढ़ें अल्लामा इकबाल के शेर....
सूफ़ी ने तोड़ दी परहेज़
ज़मीर-ए-लाला मय-ए-लाल से हुआ लबरेज़, इशारा पाते ही सूफ़ी ने तोड़ दी परहेज़
Credit: Googleआप ही मंज़िल हूँ मैं
ढूँडता फिरता हूँ मैं 'इक़बाल' अपने आप को, आप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
Credit: Googleमेरी इंतिहा क्या है
ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है, कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है
Credit: Googleमक़ाम-ए-शौक़
मक़ाम-ए-शौक़ तिरे क़ुदसियों के बस का नहीं, उन्हीं का काम है ये जिन के हौसले हैं ज़ियाद
Credit: Googleफ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर
फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर, तस्ख़ीर-ए-मक़ाम-ए-रंग-ओ-बू कर
Credit: Googleतिरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया
तिरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया, यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी
Credit: Googleइश्क़ के इम्तिहाँ
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं, अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
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