पुराने हैं ये सितारे फ़लक भी फ़र्सूदा....पढ़ें अल्लामा इकबाल के शेर....


2024/04/26 23:08:24 IST

सूफ़ी ने तोड़ दी परहेज़

    ज़मीर-ए-लाला मय-ए-लाल से हुआ लबरेज़, इशारा पाते ही सूफ़ी ने तोड़ दी परहेज़

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आप ही मंज़िल हूँ मैं

    ढूँडता फिरता हूँ मैं 'इक़बाल' अपने आप को, आप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं

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मेरी इंतिहा क्या है

    ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है, कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है

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मक़ाम-ए-शौक़

    मक़ाम-ए-शौक़ तिरे क़ुदसियों के बस का नहीं, उन्हीं का काम है ये जिन के हौसले हैं ज़ियाद

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फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर

    फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर, तस्ख़ीर-ए-मक़ाम-ए-रंग-ओ-बू कर

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तिरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया

    तिरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया, यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी

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इश्क़ के इम्तिहाँ

    सितारों से आगे जहाँ और भी हैं, अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं

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