Urdu Shayari: चाँद में तू नज़र आया था मुझे,मैं ने महताब नहीं देखा था


2024/04/28 13:23:52 IST

मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस

    लुत्फ़-ए-शब-ए-मह ऐ दिल उस दम मुझे हासिल हो,इक चाँद बग़ल में हो इक चाँद मुक़ाबिल हो

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अब्दुर्रहमान मोमिन

    चाँद में तू नज़र आया था मुझे,मैं ने महताब नहीं देखा था

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इफ़्तिख़ार मुग़ल

    हम ने उस चेहरे को बाँधा नहीं महताब-मिसाल, हम ने महताब को उस रुख़ के मुमासिल बाँधा

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क़मर जलालवी

    रुस्वा करेगी देख के दुनिया मुझे 'क़मर', इस चाँदनी में उन को बुलाने को जाए कौन

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सरवत हुसैन

    पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर,इक कशिश महताब जैसी चेहरा-ए-दिलबर में थी

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अहमद कमाल परवाज़ी

    मुझ को मालूम है महबूब-परस्ती का अज़ाब,देर से चाँद निकलना भी ग़लत लगता है

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