Urdu Shayari: चाँद में तू नज़र आया था मुझे,मैं ने महताब नहीं देखा था
मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस
लुत्फ़-ए-शब-ए-मह ऐ दिल उस दम मुझे हासिल हो,इक चाँद बग़ल में हो इक चाँद मुक़ाबिल हो
Credit: pinterestअब्दुर्रहमान मोमिन
चाँद में तू नज़र आया था मुझे,मैं ने महताब नहीं देखा था
Credit: pinterestइफ़्तिख़ार मुग़ल
हम ने उस चेहरे को बाँधा नहीं महताब-मिसाल, हम ने महताब को उस रुख़ के मुमासिल बाँधा
Credit: pinterestक़मर जलालवी
रुस्वा करेगी देख के दुनिया मुझे 'क़मर', इस चाँदनी में उन को बुलाने को जाए कौन
Credit: pinterestसरवत हुसैन
पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर,इक कशिश महताब जैसी चेहरा-ए-दिलबर में थी
Credit: pinterestअहमद कमाल परवाज़ी
मुझ को मालूम है महबूब-परस्ती का अज़ाब,देर से चाँद निकलना भी ग़लत लगता है
Credit: pinterest View More Web Stories