Urdu Shayari: हर समुंदर का एक साहिल है,हिज्र की रात का किनारा नहीं


2024/05/03 11:48:50 IST

अंत

    न उस का अंत है कोई न इस्तिआ'रा है,ये दास्तान है हिज्र-ओ-विसाल से बाहर

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दर्द का रस्ता

    दर्द का रस्ता है या है साअ'त-ए-रोज़-ए-हिसाब,सैकड़ों लोगों को रोका एक भी ठहरा नहीं

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वाहिमा

    ये जो साए से भटकते हैं हमारे इर्द-गिर्द,छू के उन को देखिए तो वाहिमा कोई नहीं

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नक़्श

    फ़ज़ा में तैरते रहते हैं नक़्श से क्या क्या,मुझे तलाश न करती हों ये बलाएँ कहीं

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दरिया में पानी

    आँख भी अपनी सराब-आलूद है,और इस दरिया में पानी भी नहीं

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सितारे

    यूँ तो हर रात चमकते हैं सितारे लेकिन,वस्ल की रात बहुत सुब्ह का तारा चमका

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बेगाने

    कुछ ऐसी बे-यक़ीनी थी फ़ज़ा में,जो अपने थे वो बेगाने लगे हैं

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