Urdu Shayari: क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में,आईना हमें देख के हैरान सा क्यूँ है


2024/07/07 13:59:12 IST

ख़्वाब

    आँखों में तेरी देख रहा हूँ मैं अपनी शक्ल, ये कोई वाहिमा ये कोई ख़्वाब तो नहीं

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आसमाँ

    आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए, ने सब तय्यारियाँ कर ली हैं मरने के लिए

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दिल

    ये जब है कि इक ख़्वाब से रिश्ता है हमारा,दिन ढलते ही दिल डूबने लगता है हमारा

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हसरत

    आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई,आँसुओं में भीग जाने की हवस पूरी हुई

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अकेले

    अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी,ये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा

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सुकूँ

    जम्अ करते रहे जो अपने को ज़र्रा ज़र्रा, वो ये क्या जानें बिखरने में सुकूँ कितना है

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