Urdu Shayari: ख़ुदा के वास्ते इस को न टोको,यही इक शहर में क़ातिल रहा है


2024/07/09 14:23:05 IST

शैख़ अली बख़्श बीमार

    कौन पुरसाँ है हाल-ए-बिस्मिल का, ख़ल्क़ मुँह देखती है क़ातिल का

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ख़ुशबीर सिंह शाद

    ये सच है चंद लम्हों के लिए बिस्मिल तड़पता है, फिर इस के बअ'द सारी ज़िंदगी क़ातिल तड़पता है

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फ़ानी बदायुनी

    यूँ न क़ातिल को जब यक़ीं आया,हम ने दिल खोल कर दिखाई चोट

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अमीर क़ज़लबाश

    क़त्ल हो तो मेरा सा मौत हो तो मेरी सी,मेरे सोगवारों में आज मेरा क़ातिल है

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हकीम मंज़ूर

    शहर के आईन में ये मद भी लिक्खी जाएगी,ज़िंदा रहना है तो क़ातिल की सिफ़ारिश चाहिए

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इक़बाल अज़ीम

    क़ातिल ने किस सफ़ाई से धोई है आस्तीं,उस को ख़बर नहीं कि लहू बोलता भी है

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इरफ़ान सिद्दीक़ी

    मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ,तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ

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