याद उसे भी एक अधूरा अफ़्साना तो होगा...पढ़ें जावेद अख्तर के शेर...
दुख के जंगल
दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग, जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं बेचारे लोग
Credit: Googleडर हम को भी लगता है
डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से, लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
Credit: Googleहम से नाता तोड़ लिया
एक ये दिन जब अपनों ने भी हम से नाता तोड़ लिया, एक वो दिन जब पेड़ की शाख़ें बोझ हमारा सहती थीं
Credit: Googleछत की कड़ियों से
छत की कड़ियों से उतरते हैं मिरे ख़्वाब मगर, मेरी दीवारों से टकरा के बिखर जाते हैं
Credit: Googleउस दरीचे में भी
उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी, सर झुकाए हुए चुप-चाप गुज़र जाते हैं
Credit: Googleहर तरफ़ शोर उसी नाम का
हर तरफ़ शोर उसी नाम का है दुनिया में, कोई उस को जो पुकारे तो पुकारे कैसे
Credit: Google ख़लिश से छुटकारा,
मैं पा सका न कभी इस ख़लिश से छुटकारा, वो मुझ से जीत भी सकता था जाने क्यूँ हारा
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