वो कश्मीरी पंडित जिसने मुस्लिम देश की मांग की
सारे जहां से अच्छा
‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा लिखा’, लेकिन कई कारणों में उन्हें पाकिस्तान में प्रसिद्धी मिली.
कश्मीर पंडित
1877 में पाकिस्तान के सियालकोट में जन्मे इकबाल की पिछली पीढ़ी कश्मीर पंडित रही है. जिसने इस्लाम कुबूल कर लिया था.
तराना-ए-हिन्द
उन्होंने 1904 में भारत के लिए देशभक्ति गीत ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा लिखा’. इसे तराना-ए-हिन्द नाम दिया. यह अंग्रेजों के विरोध में गाया जाने वाला देशभक्ति गीत बना.
तराना-ए-मिल्ली
1904 में तराना-ए-हिंद लिखने वाले इकबाल ने 1910 में तराना-ए-मिल्ली लिखा, जिसके शब्द थे, ‘मुस्लिम हैं हम, वतन है सारा जहां हमारा’.
मुस्लिम लीग
1930 में जब उन्होंने मुस्लिम लीग के अध्यक्ष के रूप में इलाहाबाद का भाषण दिया, तब इकबाल के मन में कई डर थे, जिसे उन्होंने कई मुसलमानों ने साझा किया.
मुस्लिम विरासत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, भारत की हिंदू-बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम विरासत, संस्कृति और राजनीतिक प्रभाव को खत्म कर देगी.
अलग राष्ट्र
इकबाल ने सुझाव दिया कि देश में शांति तब तक नहीं हो सकती जब तक कि मुसलमानों को अपना अलग राष्ट्र नहीं मिल जाता.
पाकिस्तान का निर्माण
यह दो-राष्ट्र सिद्धांत का आधार बना जो आजादी के बाद पाकिस्तान के निर्माण की वजह बना.
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