एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा, आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा


2024/02/01 21:44:10 IST

राह

    सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ, ये मेरा हुक्म है हालाँकि कुछ नहीं हूँ मैं

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काएनात

    ये काएनात अभी ना-तमाम है शायद, कि आ रही है दमादम सदा-ए-कुन-फ़यकूँ

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सच-झूठ

    मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी, वो झूठ बोलेगा और ला-जवाब कर देगा

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तूफ़ान

    साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन, तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है

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ग़म

    ये लोग हैं कैसे कि जिन्हें ग़म नहीं होता, मर जाए अगर कोई तो मातम नहीं होता

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ख़रीदार

    जिंस-ए-वफ़ा के वास्ते बाज़ार चाहिए, क़ीमत जो दे सके वो ख़रीदार चाहिए

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अदा

    कल शब अजीब अदा से था इक हुस्न मेहरबाँ, वो शबनमी गुलाब सी रंगत धुली धुली

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