ज़ुल्म सहना भी तो ज़ालिम की हिमायत ठहरा...पढ़ें परवीन शाकिर के शेर...
यूँ देखना उस को
यूँ देखना उस को कि कोई और न देखे, इनआम तो अच्छा था मगर शर्त कड़ी थी
Credit: Googleहथेलियों की दुआ
हथेलियों की दुआ फूल बन के आई हो, कभी तो रंग मिरे हाथ का हिनाई हो
Credit: Googleतेरे तोहफ़े तो सब
तेरे तोहफ़े तो सब अच्छे हैं मगर मौज-ए-बहार, अब के मेरे लिए ख़ुशबू-ए-हिना आई हो
Credit: Googleउस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत
उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई, जी नहीं ये मानता वो बेवफ़ा पहले से था
Credit: Googleपास जब तक वो रहे
पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है, फैलता जाता है फिर आँख के काजल की तरह
Credit: Googleहाथ मेरे भूल बैठे
हाथ मेरे भूल बैठे दस्तकें देने का फ़न, बंद मुझ पर जब से उस के घर का दरवाज़ा हुआ
Credit: Googleरुख़्सत करने के
रुख़्सत करने के आदाब निभाने ही थे, बंद आँखों से उस को जाता देख लिया है
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