Urdu Poetry:एहसास पर कहे शायरों के चुनिंदा शेर...
Shauk Moradabadi
वो रफ़्ता रफ़्ता ज़िंदगी से दूर क्या हुए,
एहसास ज़िंदगी का भी मरता चला गया
Agyaat
जागना भी कबूल है तेरी यादों में रात भर,
तेरे एहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ
अज्ञात
Faza Ibn-e-Faizi
सब अपने आईने उसने मुझी को सौंप दिए,
उसे शिकस्त का एहसास था बहुत गहरा
Asi Uldani
अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को,
मैं ने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं
Naresh Kumar Shad
मुझ को एहसास है लेकिन तुझे एहसास नहीं,
तेरे दामन की हवा मेरे लिए रास नहीं
Abdullah Javed
मिले जब तुम तो ये एहसास जागा,
अब आगे का सफ़र तन्हा नहीं है
Bashir Badra
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है,
रहे सामने और दिखाई न दे
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