जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है... पढ़िये साहिर लुधियानवी के शेर
बर्बाद पर शायरी
वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है, इल्ज़ाम किसी और के सर जाए तो अच्छा.
ख़ुशी पर शायरी
हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत, देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम.
औरत पर शायरी
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया, जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया.
जंग तो ख़ुद ही
जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है, जंग क्या मसअलों का हल देगी.
इत्तिफ़ाक़ पर शायरी
गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से, पूछेंगे अपना हाल तिरी बेबसी से हम.
दुनिया की भीड़
फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में, मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी.
मोहब्बत के गीत
अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब, अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं.
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