मेरे रश्क-ए-क़मर... नहीं जानते होंगे इस गाने का असली मतलब
भाव
गाना ‘मेरे रश्क-ए-क़मर’ प्रेम के गहरे भाव को समेटे हुए है, जो सुनने वालों की रूह को सुकून देता है.
जज्बात
यह प्रेम में डूबे एक प्रेमी के जज्बात हैं जिसकी महबूबा की खूबसूरती के आगे हर चीज फीकी पड़ जाती है.
राहत फतेह अली
यह गाना पाकिस्तानी सिंगर राहत फतेह अली खान ने गाया है, पर लोग इसे सालों से गुनगुनाते हुए दिलों में महसूस करते हैं.
पहली पंक्ति
दरअसल, गाने की पहली पंक्ति एक मशहूर गज़ल का अंश है जिसे फ़ना बुलंदशहरी ने लिखा था. जिसके मिसरे कुछ ऐसे हैं.
मेरे रश्क-ए-क़मर
मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया.
उर्दू के शब्द
जिसकी पंक्ति ‘रश्क-ए-कमर’ उर्दू के दो अलग-अलग शब्दों ‘रश्क’ और ‘क़मर’ से मिलकर बनी है.
रश्क
रश्क का मतलब जहां ईर्ष्या (जलन) से है, वहीं क़मर चांद के लिए इस्तेमाल हुआ है.
अर्थ
इसका अर्थ है- ‘चांद की ईर्ष्या’ और चूंकि चांद खूबसूरती का प्रतीक है, इसलिए प्रेमी ने प्रेमिका की खूबसूरती को बयां करने के लिए इस पंक्ति का इस्तेमाल किया है.
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