क्यों कौवे पर सवार होते हैं शनिदेव


2025/09/13 15:28:15 IST

न्याय और कर्म का प्रतीक

    कौवा कर्म और न्याय का प्रतीक है, बिल्कुल शनिदेव की तरह. जिस तरह कौवा हर छोटी-बड़ी चीज पर नजर रखता है, उसी तरह शनिदेव भी हर इंसान के अच्छे और बुरे कर्मों पर नजर रखते हैं.

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सतर्कता का प्रतीक

    कौवा एक अत्यंत सतर्क पक्षी है, जो दूर से ही चीजों को देख लेता है. यह शनिदेव की सतर्कता को दर्शाता है कि वह दूर से ही सभी की गतिविधियों को देखते रहते हैं और उचित समय आने पर कर्मों का फल देते हैं.

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पौराणिक कथा

    एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सूर्यदेव ने शनिदेव को मारने के लिए वन में आग लगा दी थी. उस आग से शनिदेव को एक कौवे ने बचाया था, जिससे प्रसन्न होकर शनिदेव ने उसे अपना वाहन बना लिया.

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पूर्वजों का संदेशवाहक

    हिंदू धर्म में कौवे को पूर्वजों का संदेशवाहक माना जाता है. शनिदेव का कौवे पर सवार होना इस बात का प्रतीक है कि वह व्यक्ति के पिछले जन्मों के कर्मों का फल भी देते हैं, जो आत्मा के साथ यात्रा करते हैं.

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वैराग्य और अनुशासन

    कौवा अक्सर अकेला रहने वाला पक्षी है, जो सांसारिक मोह-माया से दूर रहता है. यह शनिदेव के वैराग्य और अनुशासन के सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है. वह लोगों को भौतिक इच्छाओं से दूर रहने और आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

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DISCLAIMER

    ये स्टोरी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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