क्यों रखा जाता है करवा चौथ का व्रत
पति-पत्नी के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक
करवा चौथ का व्रत हिंदू परंपरा में पति-पत्नी के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. इस व्रत को रखने के पीछे कई धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं.
Credit: AI Generatedपति की लंबी उम्र के लिए
महिलाएं यह व्रत अपने पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन की कामना के लिए रखती हैं. यह प्रेम और आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है.
Credit: AI Generatedवैवाहिक सुख और समृद्धि के लिए
माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से दांपत्य जीवन में खुशहाली, सौहार्द और स्थिरता बनी रहती है.
Credit: AI Generatedधार्मिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था. उसी की स्मृति में यह व्रत किया जाता है ताकि स्त्रियों को पार्वती जैसी सौभाग्यशाली जीवनसंगिनी का वरदान मिले.
Credit: AI Generatedनिर्जला व्रत
करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाती हैं, जो सास द्वारा दी जाती है. इसके बाद दिनभर बिना जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं.
Credit: AI Generatedचंद्रमा के दर्शन के बाद खोला जाता है व्रत
संध्या के समय महिलाएं सोलह श्रृंगार कर के पूजा स्थल पर बैठती हैं और करवा माता की कथा सुनती सुनाती हैं. रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद, महिलाएं छलनी से चांद और अपने पति का चेहरा देखती हैं और फिर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं.
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इस स्टोरी में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषय गणनाओं पर आधारित है. JBT यहां दी गई जानकारी की किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.
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