क्यों है भगवान शिव का रंग नीला
समुद्र मंथन की कथा
समुद्र मंथन से निकले विष हलाहल को भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए पी लिया. इसी कारण उनका गला नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ कहा गया.
Credit: Pinterestविष का प्रभाव
विष अत्यंत घातक था, परंतु शिव ने उसे अपने गले में रोक लिया. उसका असर उनके शरीर पर नीले रंग के रूप में दिखाई दिया.
Credit: Pinterestप्रतीकात्मक अर्थ
नीला रंग विशालता, अनंतता और गहराई का प्रतीक है. शिव को ब्रह्मांड की अनंतता और असीमता से जोड़ा जाता है.
Credit: Pinterestशक्ति और सहनशीलता
नीला रंग विशालता, अनंतता और गहराई का प्रतीक है. शिव को ब्रह्मांड की अनंतता और असीमता से जोड़ा जाता है.
Credit: Pinterestकरुणा और त्याग
नीले गले का अर्थ है कि शिव दूसरों के दुख अपने ऊपर ले लेते हैं. वे दयालु और त्यागी देवता हैं.
Credit: Pinterestनीला रंग और आकाश
आकाश और समुद्र की तरह शिव भी असीम और अनंत हैं. उनका नीला रंग इसी दिव्यता का द्योतक है.
Credit: PinterestDisclaimer
ये स्टोरी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता हैं.
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