पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध क्यों जरूरी है
पितृपक्ष
भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष शुरू होता है. यह इस बार 7 सितंबर से 21 सितंबर 2025 तक चलेगा. इस दौरान विवाह और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य टालने की परंपरा है.
Credit: Pinterestपितरों की आत्मा की शांति
श्राद्ध का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति पहुंचाना है. तर्पण और पिंडदान के माध्यम से उनकी आत्मा को संतोष मिलता है.
Credit: Pinterestपितृऋण की पूर्ति
श्राद्ध से माना जाता है कि व्यक्ति अपने पितृऋण (पूर्वजों के प्रति कर्तव्य) को चुकाता है. यह जीवन में मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है.
Credit: Pinterestश्रद्धा और मंत्रों का महत्व
श्राद्ध करते समय शास्त्र सम्मत विधि और मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. इससे कर्म प्रभावी होता है और पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है.
Credit: Pinterestदान और दक्षिणा का महत्व
श्राद्ध के दौरान पितरों के लिए दान, भोजन और दक्षिणा का विशेष महत्व है. इसे करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में बाधाएँ कम होती हैं.
Credit: Pinterestजीवन में लाभ
श्राद्ध करने से पितृऋण से मुक्ति मिलती है. साथ ही परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
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ये स्टोरी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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