Mizoram CM Face: IPS लालदुहोमा का इंदिरा गांधी से कनेक्शन! मिज़ोरम के CM के हैं दावेदार

लालदुहोमा मिजोरम के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं. सीएम के हैं दावेदार, है इंदिरा गांधी से कनेक्शन

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Mizoram CM Face: मिज़ोरम विधानसभा चनाव के वोटों की गिनती लगातार जारी है. राज्य में जेडएनपी बड़ी जीत कि तरफ बढ़ रही है. अभी तक यानी कि दोपहर 1 बजे तक ZPM 26 सीट से आगे चल रही है, MNF 10, कांग्रेस 1 और अन्य 3 पर.

अभीतक आ रहे रुझान से साफ है कि जेडएनपी भारी बहुमत से सरकार बनाएगी.  त्रिकोणीय मुकाबले की बात चुनाव से पहले और चुनाव के बाद भी यहां कही जा रही थी. 
एग्जिट पोल में भी हंग असेंबली का अनुमान लगाया गया था, लेकिन लालदुहोमा और उनकी पार्टी ने एग्जिट पोल को उलट के रख दिया है. लालदुहोमा इस बड़ी जीत के बाद अब मुख्यमंत्री बनने की तैयारी में जुट गये हैं. लालदुहोमा के प्रशासनिक अफसर से लेकर राज्य के सीएम का दावेदार बनने तक का सफर इतना आसान नहीं रहा है.

IPS बने थे 1977 में

मिजोरम के युवाओं के बीच लालदुहोमा काफी लोकप्रिय हैं. पिछले कुछ सालों से वह मिजोरम के विकास और राज्य को कांग्रेस और एमएनएफ से मुक्त कराने की बात कर रहे हैं. 1977 में लालदुहोमा IPS बने और गोवा में एक स्क्वाड लीडर के रूप में कार्य किया. तस्करों पर इस दौरान उन्होंने कई कार्रवाई की. जिसके बाद वह नेशनल मीडिया में अपना पहचान बनाने लगे.  लालदुहोमा के अच्छे कार्य को देखते हुए 1982 में इन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी के रूप में तैनाती दी गई.

1984 में पहली बार बने लालदुहोमा सांसद

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की सुरक्षा में रहने के दो साल बाद ही लालदुहोमा ने 1984 में राजनीति में आने का निर्णय किया. लालदुहोमा 1984 में सांसद बने. चार साल बाद ही 1988 में कांग्रेस की सदस्यता से अलग होने के कारण उन्हें लोकसभा से अयोग्य करार दे दिया गया. 

लालदुहोमा की 2020 में विधानसभा की सदस्या भी गई

कांग्रेस से अलग होने के बाद लालदुहोमा ने जोरम नेशनलिस्ट पार्टी (ZNP) की स्थापना की. उन्हें मिजोरम विधानसभा चुनाव 2018 में ZNP के नेतृत्व वाले ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) गठबंधन के पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था. पर इन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में कार्य करना स्वीकार किया. बता दें कि 2020 में दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में इनकी विधान सभासदस्यता रद्द कर दी गई. भारत में राज्य विधानसभाओं में इस तरह का पहला मामला था. 2021 में हुए उपचुनाव में वह फिर जीते.
 

First Updated : Monday, 04 December 2023