Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट ने होटल एसोसिएशन पर की बड़ी कार्रवाई, 1 लाख का लगाया जुर्माना

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट सर्विस चार्ज से संबंधित अपने निर्देशों का पालन न करने पर  नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

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Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi Hight Court) ने सर्विस चार्ज से संबंधित अपने निर्देशों का पालन न करने पर नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (National Restaurant Association of India) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इडिया (Federation of Hotel & Restaurant Associations of India ) के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार इस जुर्माने का भुगतान उपभोक्ता मामले के विभाग भारत सरकार को एसोसिएशन द्वारा करना है.

चार हजार से अधिक शिकायतें हुई थी दर्ज

गौरतलब है कि सीसीपीए (Central Consumer Protection Authority) के दिशा निर्देश जारी होने के बाद से सर्विस चार्ज के खिलाफ नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर चार हजार से अधिक शिकायतें दर्ज की गई थीं.

सर्विस चार्ज के नियमों का किया गया था उल्लंघन

पीआईबी (PIB) द्वारा जारी जानकारी के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 जुलाई, 2023 को दिए अपने आदेश में नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया को सर्विस चार्ज के नियमों का उल्लंघन करने के मामले में प्रत्येक को रूपये 1 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

12 अप्रैल 2023 को कोर्ट ने दिया था आदेश 

दोनों एसोसिएशन 30 अप्रैल 2023 तक अपने सभी सदस्यों की पूरी सूची दाखिल करेंगे जो वर्तमान रिट याचिकाओं का समर्थन कर रहे हैं.

इन पहलुओं पर अपना पक्ष रखेंगे दोनों एसोसिएशन और एक विशिष्ट हलफनामा दायर करेंगे

  • उन सदस्यों का प्रतिशत जो अपने बिलों में अनिवार्य शर्त के रूप में सर्विस चार्ज लगाते हैं
  • क्या एसोसिएशन को सर्विस चार्ज शब्द को वैकल्पिक शब्दावली से बदलने पर आपत्ति होगी ताकि उपभोक्ता के मन में यह भ्रम पैदा न हो कि यह 'कर्मचारी कल्याण निधि', 'कर्मचारी कल्याण अंशदान', 'कर्मचारी शुल्क', 'कर्मचारी कल्याण शुल्क' आदि जैसी सरकारी लेवी नहीं है.
  • उन सदस्यों का प्रतिशत जो सर्विस चार्ज को स्वैच्छिक और अनिवार्य नहीं बनाने के इच्छुक हैं, उपभोक्ताओं को उस सीमा तक अपना अंशदान देने का विकल्प दिया जाता है, जिस सीमा तक वे स्वेच्छा से अधिकतम प्रतिशत के अधीन जो शुल्क चाहते हैं, उसकी वसूली की जा सकती है.

 

रेस्तरां संघों को उपर्युक्त निर्देशों के अनुसार आवश्यक अनुपालन करना आवश्यक था. हालांकि, किसी भी एसोसिएशन ने कथित आदेश के संदर्भ में हलफनामा दाखिल नहीं किया.

न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट धारणा है कि रेस्टोरेंट संघ 12 अप्रैल, 2023 के आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहे हैं और उन्होंने उत्तरदाताओं को उचित रूप से सेवा दिए बिना हलफनामा दायर किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुनवाई अदालत के समक्ष आगे न बढ़े.

5 सितंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई

न्यायालय ने सभी याचिका में लागत के रूप में  एक लाख रुपये के भुगतान की शर्त पर 4 दिनों के भीतर इन हलफनामों को ठीक से दाखिल करने का एक आखिरी मौका दिया है, जिसका भुगतान वेतन और लेखा कार्यालय, उपभोक्ता मामले विभाग, नई दिल्ली को डिमांड ड्राफ्ट के रूप में किया जाना है. इस निर्देश का अनुपालन न करने पर हलफनामे को रिकॉर्ड पर नहीं लिया जाएगा. मामले की सुनवाई अब 5 सितंबर, 2023 को होनी है .

First Updated : Friday, 28 July 2023