हीरामंडी में नवाबों की नाजायज औलादें करती हैं मुजरा, दिल छू लेगा ताजदार का डायलॉग

Heeramandi: हीरामंडी में तवायफों की जिंदगी से जुड़े कई ऐसे पहलुओं को दिखाया गया है, जिसको देखकर लगता है कि ये उन तवायफों के साथ ज्यादती थी.

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Heeramandi: संजय लीला भंसाली ने लगातार पीरियड ड्रामा कहानियों को पर्दे पर दिखाया है, बॉलीवुड में शायद ही कोई फिल्म निर्माता उस स्तर तक पहुंच सकता है. और इस बात की पुष्टि उनके पहले ओटीटी शो 'हीरामंडी' को लाकर एकबार फिर कर दी है. 'हीरामंडी' को जिस तरह से फिल्माया गया है, उसका हर एक सीन आपको रोमांचित कर सकता है. इस सीरीज में हीरामंडी में महफिलें सजने के अलावा एक दबे हुए इतिहास को भी खोजा गया है. इसमें एक पहलू उन तवायफों के पिता के लेकर भी सवाल खड़ा किया है. 

हीरामंडी की लड़कियों के पिता कौन? 

हीरामंडी में संजय लीला भंसाली तवायफों से जुड़े हर एक पहलू को समेटा है. एक तवायफ मोहब्बत नहीं कर सकती, उसकी शादी नहीं हो सकती. जैसा कि हीरामंडी में दिखाया गया है कि सीरीज में एक पूरा खानदान है, 4 बहनें उनकी बेटियां, और एक बहन के बेटा था तो वे बेच दिया गया. सवाल ये उठता है कि इन बच्चों के पिता कौन होते हैं, और अगर वो उन बच्चों को नाम नहीं दे सकते हैं तो फिर उनको पैदा ही क्यों होने देते हैं?

हीरामंडी के नवाब

नवाबों की औलदें

जिस तरह से हीरामंडी में हर औरत का एक साहब होता है, वो नवाब उस तवायफ का पूरा खर्च उठाता है, और तवायफ भी सिर्फ अपने साहब के सामने मुजरा करती है. साफ तौर पर कहा जा सकता है कि वो एक नवाब की एक पर्सनल तवायफ होती थी.

हीरामंडी में मल्लिकाजान (मनीषा कोईराला) के साहब जुल्फेकार (शेखर सुमन) होते हैं. जब मल्लिकाजान जवान होती हैं तभी से वो उनके साहब बने दिखाए गए हैं. सिरीज में आगे पता चलता है कि बिब्बोजान और आलमज़ेब के पिता जुल्फेकार ही हैं. यहां पर सवाल ये उठता है कि क्या उन नवाबों को अपनी बेटियों को इस तरह से अपने जिस्म को बेचते देखना आसान होता था, क्या वो उनको अपना नहीं सकते थे?

आलमज़ेब और ताजदार की प्रेम कहानी

मल्लिकाजान की दो बेटियों में एक है आलमज़ेब. आलमज़ेब कभी भी तवायफ नहीं बनान चाहती थी. उसको एक दिन विलायत से आए एक नवाब ताजदार से प्यार हो जाता है. ताजदार को नहीं पता होता है कि वो हीरामंडी से है.

कहानी में जब आलमज़ेब अपने घर से भाग कर ताजदार के घर पर पहुंचती है तब उसको पता चलता है कि वो हीरामंडी से है, जिसके बाद वो आलमज़ेब को अपनाने से इंकार कर देता है. हालांकि बाद में वो आलमज़ेब को वो अपने साथ रखता है. कुछ वजहों के चलते दोनों अलग हो जाते हैं, इस बीच आलमज़ेब प्रेग्नेंट हो जाती है. 

हीरामंडी का एक सीन

ताजदार नवाबों को देता है जवाब

हीरामंडी में कुछ भी एक तरफा नहीं दिखाया गया है, ना ही तवायफ सिर्फ मुजरा करती हैं, बल्कि वो आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेती दिखती हैं. दूसरी तरफ ना ही सारे नवाब तवायफ रखने वाले होते हैं, जो इनको नीची नजर से देखते हैं. इन्ही किरदारों में से एख किरदार ताजदार का है. ताजदार कभी भी हीरामंडी जाने वाले नवाबों में नही था.

जब ताजदार को पता चलता है कि आलमज़ेब प्रग्नेंट है तब वो उससे शादी की बात करता है, जिसपर दूसरे नवाब अपनी आपत्ती जताते हुए कहते हैं कि एक तवायफ की बेटी नवाबों के घर की बहू नहीं बन सकती. इसपर ताजदार कहता है कि हीरामंडी में जो तवायफें मुजरा करती हैं वो हम में से ही किसी ना किसी नवाब की औलादें हैं.

इस कहानी को जितने भी पहलुओं से देखा जाए, उसमें कुछ ना कुछ नया मिल जाता है. या फिर यूं कहें कि वो सारे मुद्दे जो उस दौर से आज तक सिर्फ मुद्दे ही बने हुए हैं. 

First Updated : Sunday, 05 May 2024