Assembly election result 2023 : देश के चार राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के रविवार को आए चुनावी नतीजों में तीन राज्यों में बीजेपी को पूर्णबहुमत मिला है और बीजेपी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में सरकार बनाने जा रही है. वहीं तेलंगाना में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला है, जहां पर कांग्रेस सरकार बनाएगी. चार राज्यों में नजीते आने के 4 राज्यों में सीएम पद की रेश में 18 नाम आ गए हैं, जिनके बारे मं हम आपको बता रहे हैं.
मध्य प्रदेश
देश का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में बीजेपी को 230 सीटों में 163 सीटें मिली हैं. मध्य प्रदेश में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. ऐसे में मध्य प्रदेश में सीएम फेस को लेकर 5 बड़े नाम रेस में आ गए हैं.
शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे ऊपर है. भले ही भाजपा ने मध्य प्रदेश के चुनाव में उनका नाम घोषित नहीं किया था, लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ वापसी कर सबको अपनी ताकत दिखा दी है. उनकी लाड़ली बहना योजना ने जीत में बड़ी भूमिका निभाई है. अब केंद्रीय नेतृत्व को सीएम पद के नाम पर मुहर लगानी है.
प्रहलाद पटेल
बीजेपी में दूसरा बड़ा नाम प्रहलाद पटेल का है जो मोदी सरकार में मंत्री है. प्रहलाद पटेल को पार्टी ने नरसिंहपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था. प्रहलाद पटेल इस बार चुनाव जीत चुके हैं. महाकौशल में प्रहलाद पटेल का जादू चलता है तो प्रह्लाद पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. प्रहलाद पटेल के साथ प्लस पॉइंट है कि वह ओबीसी वर्ग से हैं.
नरेंद्र सिंह तोमर
बीजेपी में तीसरा बड़ा नाम नरेंद्र सिंह तोमर का है, जो मोदी कैबिनेट में अहम पद पर हैं. तोमर इस बार मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार माने जा रहे हैं. मोदी- शाह का करीबी होना और मध्य प्रदेश में चुनाव प्रबंधन जैसी अहम जिम्मेदारी नरेंद्र सिंह तोमर के पास थी. पार्टी ने नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने बड़े अतंर से चुनाव जीता है.
कैलाश विजयवर्गीय
बीजेपी में चौथा नाम कैलाश विजयवर्गीय का है भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गी पश्चिम बंगाल के प्रभारी रहे और मध्य प्रदेश की राजनीति में भी उनका अच्छा जनाधार है. अपने बयानों के जरिए सुर्खियों में रहने वाले कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी ने इंदौर 1 से उम्मीदवार बनाया था. चुनाव जीतने के बाद इसका नाम सीएम पद की रेस में है.
राजस्थान
देश में भौगोलिक रूप से सबसे बड़े राज्य राजस्थान में सरकार बदलने का रिवाज कायम रहा. यहां की जनता ने गहलोत सरकार को नकार दिया. बीजेपी को 199 सीटों के चुनाव में 115 सीटें मिली हैं.
बाबा बालकनाथ योगी
महंत बालकनाथ योगी अलवर लोकसभा से सांसद हैं और उनका नाम भी बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं में शामिल किया जाता है. इस बार वे तिजारा विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरे थे और चुनाव जीत गए हैं. अलवर के आसपास के क्षेत्रों में उनकी अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. वे भाजपा के हिंदुत्ववादी चेहरे पर एकदम फिट बैठते दिखाई देते हैं. उत्तर प्रदेश की तरह बाबा बालकनाथ को राजस्थान में सीएम के रूप में देखा जा रहा है.
वसुंधरा राजे सिंधिया
बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान में 2 बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. 5 बार विधायक रह चुकी हैं और 5 बार राजस्थान से लोकसभा सांसद भी रही हैं. वसुंधरा राजे केंद्र सरकार में एक्सटर्नल अफेयर्स राज्यमंत्री और स्मॉल स्केल मंत्रालय की भी राज्य मंत्री रह चुकी हैं. वह झालावाड़ के झालरापाटन से जीत चुकी हैं. सीएम गहलोत से पहले वसुंधरा राजे ही प्रदेश की बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री रही हैं.
ओम बिड़ला
राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिड़ला लोकसभा स्पीकर हैं. ओम बिड़ला का नाम अबकी बार राजस्थान केो मुख्यमंत्री के रूप में चल रहा है. लोकसभा अध्यक्ष के लिए बिड़ला का नाम तय कर मोदी और शाह की जोड़ी ने लोगों को चौंका दिया था. सिर्फ दो बार के सांसद ओम बिड़ला को लोकसभा का अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने संदेश दिया था कि अहम पदों के लिए सिर्फ अनुभव ही नहीं समीकरण मायने रखते हैं.
दीया कुमारी
जयपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वालीं दीया कुमारी इस समय राजसमंद से बीजेपी की सांसद हैं. पार्टी ने इन्हें जयपुर की विद्याधरनगर सीट से प्रत्याशी बनाया था और वह जीत चुकी हैं. दीया कुमारी को वसुंधरा राजे का विकल्प माना जा रहा है. अब देखना है कि राजस्थान में महारानी को कमान मिलती है या फिर किसी और को.
छत्तीसगढ़
नक्सलवाद की समस्या से प्रभावित और आदिवासी बहुलता वाले राज्य छत्तीसगढ़ में जनता ने एक बार फिर सत्ता बीजेपी के हाथ में सौंप दी है. 90 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 54 सीटें मिली हैं. छत्तीसगढ़ भाजपा ने मुख्ममंत्री चेहरे के बिना विधानसभा चुनाव लड़ा था. राज्य की जनता ने बीजपी को यहां पूर्ण बहुमनत दीय इसके बाद से राज्य में सीएम पद की रेस में चार बड़े नाम चल रहे हैं.
रमन सिंह
डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री के नाम में सबसे आगे हैं. ये 15 साल राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. हालांकि, इस बार भारतीय जनता पार्टी ने फेस का ऐलान नहीं किया था. हालांकि, फिलहाल रमन सिंह सबसे बड़े दावेदार माने दा रहे हैं. पहले भी रमन सिंह बीजेपी सरकार में सीएम रह चुके हैं.
ओपी चौधरी
ओमप्रकाश चौधरी रायगढ़ जिले के बायंग गांव के रहने वाले हैं और साल 2005 बैच के आईएएस अफसर हैं. ओपी चौधरी रायगढ़ जिले से आईएएस बनने वाले पहले शख्स हैं. ओपी चौधरी 13 साल की सर्विस के दौरान अपने काम को लेकर अक्सर चर्चा में रहते थे.
रेणुका सिंह
छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य है और डॉक्टर रेणुका सिंह इसी समाज से आती हैं. केंद्र सरकार में राज्यमंत्री रेणुका 2003 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुई थीं. बीजेपी ने इस बार रेणुका को भरतपुर सोनहत सीट से चुनाव मैदान में उतारा है और चर्चा है कि पार्टी इन्हें मुख्यमंत्री बना सकती है. रेणुका सिंह जिला पंचायत सदस्य भी रही हैं और छत्तीसगढ़ बीजेपी की महिला मोर्चा में महामंत्री की जिम्मेदारी भी निभा चुकी हैं.
अरुण शाव
भाजपा के दिग्गज लीडर अरुण साव भी मुख्यमंत्री की रेस में शामिल हैं. साव बिलासपुर से सांसद और पार्टी ने विधानसभा चुनाव में उनको लोरमी से मैदान में उतारा है. साव OBC समाज से आते हैं इस कारण इनकी दावेदारी पक्की मानी जा रही है.
विजय बघेल
दिग्गज लीडर विजय बघेल फिलहाल दुर्ग लोकसभा सीट से सांसद हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उनको CM भूपेश बघेल के खिलाफ मैदान में उतारा है. वो OBC फेस होने के कारण सीएम फेस की रेस में शामिल हैं.
तेलंगाना
दक्षिण के राज्य तेलंगाना में जनता ने बीआरएस को नकार दिया है और कांग्रेस को जनादेश दिया है. 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा में कांग्रेस को 64 सीटें मिली हैं. वहीं बीआरएस 39 सीटों पर सिमट गई है. इसके बाद से यहां चार नाम सीएम पद की रेस में हैं.
रेवंत रेड्डी
कांग्रेस के एक रणनीतिकार का कहना था कि जिस तरह से रेवंत रेड्डी ने जिस तरह से केसीआर और बीआरएस को सीधी चुनौती दी, उससे उनकी स्थिति मजबूत हुई है. चर्चा है कि रेवंत को पहले ही हाईकमान की ओर से भरोसा दिलाया गया है. रेवंत के बारे में कहा जा रहा है कि अगर उन्हें कमान दी जाती है तो बीआरएस से कुछ विधायक, खासकर रेड्डी समुदाय से जुड़े विधायक कांग्रेस खेमे में आ सकते हैं. वहीं माना जा रहा है कि रेवंत को कुर्सी मिलती है तो केसीआर व उनके परिवार के खिलाफ मामलों में वह सख्त एक्शन लेने से नहीं हिचकिचाएंगे. रेवंत चंद्रबाबू नायडू के करीबी भी माने जाते हैं.
उत्तम कुमार रेड्डी
इस रेस में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व मौजूदा सांसद एम उत्तम कुमार रेड्डी भी रेस में माने जा रहे हैं. किरण कुमार सरकार में मंत्री रहे उत्तम कुमार रेड्डी हुजूरनगर से चुनाव जीते हैं. चर्चा है कि अगर दोनों रेड्डी के बीच मामला फंसता है तो मौजूदा कांग्रेस विधायक दल के नेता विकमार्क मालू भट्टी की लॉटरी लग सकती है. इस रेस में बोइंगीर लोकसभा सीट के सांसद व कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री कोमटिरेड्डी वेंकट रेड्डी भी रेस में हैं, जो नालगोंडा असेंबली सीट से जीते हैं. इनके अलावा, बाह्मण समुदाय से आने वाले श्रीधर बाबू का नाम भी सामने आ रहा है, जो करीमनगर की मंथनी सीट से मौजूदा विधायक हैं। पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हाराव के रिश्तेदार बाबू किरण कुमार रेड्डी सरकार में मंत्री रहे हैं.
विक्रमार्क मल्लू भट्टी
खम्मम जिले के मधिरा (एससी) निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार मल्लू भट्टी विक्रमार्क तीन बार विधायक रह चुके हैं और अब तेलंगाना विधानसभा चुनाव में अपना चौथा कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में हैं. उनके पास सदन में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता का पद है और उन्हें पार्टी के एक समर्पित वफादार के रूप में व्यापक रूप से पहचाना जाता है.
कोमाटी रेड्डी
कोमाटी रेड्डी भुवनगिरी लोकसभा सीट से सांसद हैं. वह नलगोंडा विधानसभी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार बनाए गए थे. उनका नाम राज्य में सीएम पद की रेस में शामिल हैं. वह 2019 में लोकसभा के लिए चुने जाने से पहले कामोटी तेलंगाना के विधायक थे. इसके पहले वह 1999 से 2014 के बीच आंध्र प्रदेश में तीन बार विधायक रह चुके हैं.
First Updated : Monday, 04 December 2023