आखिर नई संसद का उद्घाटन अकेले राष्ट्रपति को क्यों करना चाहिए: राघव चड्ढा ने गिनाई 10 वजहें

आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए बताया कि आखिर नए संसद का उद्घाटन अकेले राष्ट्रपति को क्यों करना चाहिए

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दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है, जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बिना भवन का उद्घाटन करने का निर्णय राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करना है। इस दौरान आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए बताया कि आखिर नए संसद का उद्घाटन अकेले राष्ट्रपति को क्यों करना चाहिए?

1. वरीयता के वारंट में राष्ट्रपति पहले स्थान पर हैं, उसके बाद उपराष्ट्रपति और तीसरे स्थान पर प्रधानमंत्री हैं।

2. संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है।

3. सभी कार्यकारी कार्रवाई भारत के राष्ट्रपति के नाम पर की जाती है।

4. राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक होता है और हमारे देश की एकता, एकता और अखंडता का प्रतीक होता है।

5. विधानमंडल में राष्ट्रपति और दो सदन, राज्यसभा और लोकसभा शामिल हैं।

6. सभी कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति में निहित है, जो प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र की शुरुआत में संसद को भी संबोधित करता है।

7. संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की सहमति के बिना अधिनियम नहीं बन सकता है।

8. यह राष्ट्रपति है जो भारत के प्रधान मंत्री की नियुक्ति करता है।

9. राज्य के प्रमुख के रूप में, राष्ट्रपति के पास पीएम के ऊपर एक ऊंचा स्थान होता है, जो केवल कार्यकारी प्रमुख होता है।

10. राष्ट्रपति ने जिस संविधान की रक्षा करने का संकल्प लिया है, उसकी रक्षा के लिए सभी दलों द्वारा राष्ट्रपति की ओर देखा जाता है।

इसलिए भारत के संसदीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति की स्थिति ऐसी है कि नए संसद भवन का उद्घाटन अकेले राष्ट्रपति को ही करना पड़ता है।

First Updated : Wednesday, 24 May 2023