Explainer: मणिपुर में UNLF ने 59 साल बाद क्यों डाले हथियार समझौते के पीछे क्या है वजह

Manipur UNLF Group: यूएनएलएफ के साथ करीब 6 दशक बाद हुए इस समझौते को अहम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि मणिपुर में 3 मई 2023 से मैतेई और कुकी समाज में विद्रोह छिड़ा हुआ है.

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मणिपुर में लगभग 6 दशक से सक्रिय उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने हथियार डाल दिए. उसने सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इसकी घोषणा की है. उन्होंने कहा कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के केंद्र सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है.

एकाएक UNLF के इस कदम से सवाल उठना लाजमी है कि मणिपुर के सबसे पुराने सशस्त्र गुट ने अचानक हिंसा का रास्ता क्यों छोड़ दिया. इस संगठन के नेता और लड़ाके मुख्यधारा में क्यों आना चाहते हैं. दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ दिन पहले यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) समेत पांच उग्रवादी गुटों पर प्रतिबंध को 5 साल के लिए बढ़ा दिया था. सरकार ने इनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के कारण यह कदम उठाया था. ये उग्रवादी गुट मणिपुर में एक्टिव हैं और 13 नवंबर 2023 से इन पर बैन लागू किया गया था. फिलहाल यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) क्या है और इसके बनने से सरेंडर करने तक क्या कहानी है इसके बारे में जानते हैं. 

यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) का गठन 24 नवंबर 1964 को हुआ था.

कब और क्यों बना UNLF?
यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) का गठन 24 नवंबर 1964 को हुआ था. इसका निर्माण अरेंबम समरेंद्र की अगुवाई में हुआ था. 1990 में सममेंद्र ने मणिपुर को भारत से अलग करने का फैसला किया था. इसके लिए इस संगठन ने पहली बार सशस्त्र संघर्ष शुरू किया. यूएनएलएफ मणिपुर का सबसे पुराना सक्रिय मैतेई विद्रोही गुट है. सेना से लड़ने के लिए यूएनएलएफ के विद्रोहियों ने नागा के सबसे बड़े विद्रोही गुट एनएससीएन (IM) से ट्रेनिंग ली थी. बाद में यूएनएलएफ ने सशस्त्र विंग मणिपुर पीपुल्स आर्मी का भी गठन किया था. यूएनएलएफ के विद्रोही पिछले कुछ सालों में सेना के जवानों पर कई हमले कर चुके हैं. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इस गुट पर पांबदी को 5 साल के लिए बढ़ा दिया है.

UNLF और सरकार के बीच क्यों अहम है समझौता?
यूएनएलएफ के साथ करीब 6 दशक बाद हुए इस समझौते को अहम माना जा रहा है क्योंकि मणिपुर में 3 मई 2023 से मैतेई और कुकी समाज के बीच धमासान है. हिंसा में मणिपुर में अभी तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करोड़ों की संपत्ति को जलाया जा चुका है. मैतेई समुदाय के लोग लंबे समय से अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. 

First Updated : Friday, 01 December 2023
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