Knowledge : कहानी 2200 किलो वजन उठाने वाले यूजेन सैंडो की, जिन पर बनियान का नाम पड़ा सैंडो गंजी

Story of Eugen Sando : यूजेन सैंडो की मौत 99 साल पहले हो चुकी थी, लेकिन आज भी उसे दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान माना जाता है. कहा तो यह भी जाता है कि यूजेन सैंडो जैसी शारीरिक बनावट आज तक किसी और पुरुष की नहीं हुई. यूजेन सैंडो (Eugen Sandow) का जन्म 1867 में जर्मनी के कोनिसबर्ग में एक यहूदी परिवार में हुआ था.

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यूजेन सैंडो…, यूजेन सैंडो को भले ही आप न जाते हों लेकिन यह नाम सुनते ही आपके दिमाग में सैंडो बनियान की तस्वीर उभरी होगी. अगर उभरी है तो आप सही दिशा में जा रहे हैं क्योंकि आप हम यूजेन सैंडो के साथ ही सैंड़ो बनियान की कहानी के बारे में भी बताने जा रहे हैं. तो आइए कहानी को शुरू करते हैं. 

यूजेन सैंडो की मौत 99 साल पहले हो चुकी थी, लेकिन आज भी उसे दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान माना जाता है. कहा तो यह भी जाता है कि यूजेन सैंडो जैसी शारीरिक बनावट आज तक किसी और पुरुष की नहीं हुई. यूजेन सैंडो (Eugen Sandow) का जन्म 1867 में जर्मनी के कोनिसबर्ग में एक यहूदी परिवार में हुआ था. इनका नाम फ्रेडरिक वालहेम मुलर (Friedrich Wilhelm Muller) रखा गया. सैंडो के पिता जर्मनी मूल के थे और मां रूस की रहने वाली थीं. बचपन में सैंडो बहुत कमजोर और दुबले-पतले हुआ करते थे. तब उनके पिता ने फैसला किया कि सैंडो को इटली लेकर चलते हैं. वहां समंदर किनारे साफ हवा और वातावरण में सैंडो की तबीयत में सुधार होगा.

यूजेन सैंडो.

 

पहली बार कैसे चर्चा में आए सैंडो?

एक जमाने में इटली में रेसलिंग और बॉडी-बिल्डिंग का क्रेज था और तब सैंडो की उम्र केवल 10 साल थी. उनके दिमाग में एक दम से बॉडी बिल्डिंग सीखने का ख्याल आया और उन्होंने इटली में कुछ वक्त तक बॉडी बिल्डिंग सीखी. बाद में प्रो. एटीलिया (Professor Attila) से ट्रेनिंग भी ली. इसके बाद बॉडी बिल्डिंग में अपना नाम बनाने के लिए  सैंडो एम्सटर्डम चले गए. 

उन जमाने में एम्सटर्डम में जगह-जगह कॉइन से चलने वाली मशीनें लगी होती थीं और इनमें एक लिवर लगा होता था. मशीन में कॉइन डालने के बाद लिवर उठाकर कोई अपनी ताकत का परीक्षण कर सकता था. यूजेन सैंडो को एक खुराफात सूझा. उन्होंने एक टैक्सी हायर की और पूरे एम्सटर्डम में जगह-जगह लगी मशीनों के लिवर उखाड़ डाले.

जब पुलिस ने सैंडो को पकड़ लिया

इससे पुलिस हरकत में आ गई हैं तीन दिन बाद सैंडो धर लिये गए.जब पुलिस ने उनसे पूछा कि तुम ऐसा क्यों कर रहे थे तो उन्होंने कहा कि मैं तो मशीन में पैसे डालकर अपनी ताकत आजमा रहा था. हालांकि पुलिस यह मानने को तैयार ही नहीं हुई कि कोई शख्स इतना ताकतवर कैसे हो सकता है? उन्होंने अपने आला अफसरों को बुला लिया. अफसर को भी सैंडो की बात पर भरोसा नहीं हुआ और पुलिस ने सैंडो के सामने पंजा लड़ाने का ऑफर रख दिया. सैंडो ने पलक झपकते उस अफसर का पंजा गिरा दिया.

यूजेन सैंडो की तस्वीरें.

सैंड़ो बने दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान?

साल 1889 में सैंडों ने साइक्लोप्स और सैमंस को हराकर सनसनी मचा दी. इसके बाद सैंडो खुद को दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान होने का दावा करने लगे. सैंडो साल 1893 में शिकागो के फ्लोरेंज़ ज़िगफेल्ड की कंपनी में शामिल हो गए और ब्रिटेन से लेकर अमेरिका और दुनिया के तमाम देशों के युवाओं को बॉडी-बिल्डिंग स्किल दिखाई.
 

जब सैंडो का हुआ फिजिकल टेस्ट

Britannica की रिपोर्ट के अनुसार जब सैंडो अपने शिखर पर थे तब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) के मशहूर फिजिकल एजुकेटर डडली सार्जेंट ने सैंडों का फिजिकल टेस्ट किया. इसके बाद उनको सर्वश्रेष्ठ पुरुष करार दिया था. साल 1895 आते-आते सैंडो सवा मिलियन डॉलर से अधिक कमा चुके थे. उस जमाने में यह रकम बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी.


कितने ताकतवर थे सैंडो?

पांच फिट साढ़े आठ इंच लंबे सैंडो का वजन करीब 88.5 किलो था और छाती 48 इंच चौड़ी थीं. greatestphysiques की एक रिपोर्ट के मुताबिक सैंडो, शराब का शेवन करना तो दूर कभी हाथ तक नहीं लगाते थे. ऐसा कहा जाता है कि कभी-कभार बियर पी लिया करते थे. अक्सर सादा खाना खाते थे और कम से कम 6 घंटे एक्सरसाइज करते थे. सैंडो की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 4800 पाउंड (करीब 2177 किलो) वजनी लिफ्ट हार्नेस चेन उठा ली थी. इतना वजह शायद ही आज तक कोई उठा पाया है.

यूजेन सैंडो फोटो शूट के दौरान.

 

जिम के बाहर लग गई लाइन

सैंडो के चर्चे जब पूरी दुनिया में मशहूर हुए तो उन्होंने एक जिम की शुरुआत की. लोगों को अपने जैसा शरीर बनाने की ट्रेनिंग देने लगे. सैंडो का जिम इतना मशहूर हुआ कि उसके बाहर कई किलोमीटर लंबी कतार लग गई. सैंडो ने अपने नाम के ब्रांड वाले सिगरेट, सिगार और कोको पाउडर बेचना शुरू कर दिया. इसी दौर में उन पर अय्याशी और पत्नी से लड़ाई के आरोप लगे. कहा गया कि सैंडो की पत्नी ब्लेंक ब्रुक्स (Blanche Brooks) उनकी प्लेबॉय वाली हरकतों से नाराज होकर लंदन में अकेले रहने लगीं.

बनियान का नाम पड़ा ‘सैंडो गंजी’

यूजेन सैंडो साल 1905 में भारत आए थे. इतिहासकारों ने कई जगह लिखा है कि सैंडो के जीवन पर योग का गहरा प्रभाव था. वह नियमित रूप से योग करते थे. मॉडर्न बॉडी-बिल्डिंग के जनक कहे जाने वाले सैंडो के बारे में एक और दिलचस्प बात है. वह अक्सर बिना बाजू वाली सफेद रंग की कमीज पहना करते थे. उनकी यह कमीज दुनिया भर में मशहूर हुई. भारत में तो बनियान का नाम ही ‘सैंडो गंजी’ पड़ गया.

First Updated : Sunday, 14 January 2024
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