India Daily Conclav:  देश की पूर्व प्रधानंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कैसा था लखनऊ का माहौल इसके बारे में पूर्वी DGP ने बताया है. उन्होंने बताया कि "आपने किसी चीज को कंट्रोल करने के लिए सुनाइए. अब लगा मेरे साढ़े तीन साल के पुलिस कैरियर में जो लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन है, सबसे डिफिकल्ट वह था श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या या 30 अक्टूबर 1984 मैं शहर कप्तान था लखनऊ का और आपको प्रसन्नता होगी. सब जगह हुआ लखनऊ नहीं हुआ था क्योंकि कांग्रेसियों ने वह प्रायोजित था. जब राजीव गांधी जी ने कहा था कि जब पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है और 3000 से ज्यादा हमारे सिख भाई मारे गये से मैक्जिमम दिल्ली में कानपुर में मारे गए और कांग्रेस की सरकार ने मिश्रा कमीशन बना करके उसको बट्टे खाते में डाल दिया. जब योगी आदित्यनाथ आए तब एक आईपीएस अफसर के उसमें एसआईटी बनी और तब तमाम लोगों को जेल भेजा गया. दिल्ली में हुआ तो सबसे डिफिकल्ट था पूरे देश में मैनेज कैसे किया था आपने कि लखनऊ में मैंने जो किया था उस समय मुझे याद है मैं हजरतगंज में लाठी लिए और मेरे साथ में दिवाली के बाद चोट लग गई थी".

आगे उन्होंने कहा "पट्टी बांधे था उसमें बल की हुई थी. गोली चलाया जाए. मेरे आईजी तो नहीं हैं.  हमने लाठी चार्ज करना शुरू किया और जब वह पट्टी हट जाती थी, दोबारा मैं रुई बांध लेता था और हमने करीब 3000 लोगों को जेल भेज दिया. बाद में जब मेरी मर्जी छोड़ दिया और हमें गोली नहीं चलानी पड़ी और लखनऊ में केवल जीआरपी पर जो मेरे गुलशन मैं नहीं था, दो कैजुअल्टी हुई थी और पूरे लखनऊ के इसको सिख समाज आज भी कहता है कि लखनऊ को मैंने बचाया था तो एक डिफिकल्ट सिचुएशन हुआ था और दूसरा बाबरी जब ढांचा टूटा गया 6 दिसंबर को मैं सबसे डिफिकल्ट जगह तैनात था एसएसपी मेरठ तो वहां जब बात होती थी तो होती थी साहब दंगा हो मेरठ में ना हो".