DSP Shailendra Singh: उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी का बीते रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है आज उसका पोस्टमार्टम होना है. इस बीच आज हम आपको एक ऐसे डीएसपी के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने मुख्तार अंसारी के कारनामों का काला चिट्ठा खोला था. ये वहीं डीएसपी है जिन्होंने मुख्तार अंसारी का केस रद्द करने से इनकार कर दिया था. हालांकि, बाद में उन्हें यूपी पुलिस के अफसर पद से इस्तीफा देना पड़ा.
दरअसल हम बात कर रहे हैं पूर्व डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह की जिन्होंने 2004 में गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी पर आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) लगाया था.
मुख्तार अंसारी से पंगा लेने वाले DSP शैलेंद्र सिंह 1991 बैच के अधिकारी हैं. शैलेंद्र के दादा राम रूप सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. शैलेंद्र एक बहादुर और ईमानदार पुलिस अफसर थे. वह सिस्टम के खिलाफ जाकर मुख्तार से तब पंगा लिए थे जब कोई उनके खिलाफ आवाज उठाने की भी हिम्मत नहीं कर पाता था. लेकिन बाद में राजनीतिक दबाव के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा हालांकि वह अंसारी के सामने झुके नहीं.
दरअसल, साल 2004 में एक मामले में मुख्तार अंसारी के खिलाफ पूर्व DSP शैलेंद्र सिंह ने पोटा के तहत केस दर्ज करने की सिफारिश सरकार को भेज दी थी. DSP के इस कार्रवाई के लिए डीजीपी कार्यालय से सरकार तक के वरिष्ठ अधिकारी मुख्तार के खिलाफ सबूत की मांग की. उसके बाद सरकार ने DSP शैलेंद्र सिंह के इस कदम के लिए डांटा और मुकदमा हटाने का दबाव बनाया. हालांकि वह नहीं माने और मुकदमा हटाने से इनकार कर दिया और राज्यपाल को अपना इस्तीफा भेज दिया.
अतीक अहमद के बाद यूपी पुलिस ने माफिया मुख्तार अंसारी के परिवार पर नकेल कसना शुरू किया. मुख्तार अंसारी का केस एसटीएफ के डीएसपी शैलेंद्र सिंह के अंडर था. इस दौरान शैलेंद्र सिंह पर मुकदमा हटाने का प्रेशर दिया लेकिन उन्होंने केस हटाने से इनकार कर दिया. उसके बाद उन्होंने अपने से इस्तिफा दे दिया. सिंह ने अपना इस्तीफी सीधे राज्यपाल को भेजा था जिसे मजबूरन सरकार को स्वीकार करना पड़ा था.
First Updated : Friday, 29 March 2024