बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि अगला कोई बड़ा विश्वस्तरीय युद्ध पानी को लेकर होगा. उनकी बातें सच होती दिखाई दे रही हैं. आज पानी को लेकर दो मुल्क आपस में लड़ते दिखाई दे रहे हैं. फिदायीन तक उतार दिए गए हैं. 

ईरान इस वक्त भीषण सूखे से जूझ रहा है. उसके सामने पानी की भारी समस्या है। उसकी परेशानी अफगानिस्तान के साथ लंबे समय से चले आ रहे जल विवाद के कारण और बढ़ गई है. ईरान का दावा है कि हेलमंद नदी जल बंटवारे के समझौते पर तालिबान अमल नहीं कर रहा है। इस बारे में मई में ही ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने तालिबान को चेतावनी दी थी कि या तो अफगानिस्तान समझौते का सम्मान करे या परिणाम भुगतने को तैयार रहे.

इस चेतावनी के हफ्ते भर बाद ही ईरान और तालिबान के बीच सीमा पर भारी गोलीबारी हुई। इसमें दो ईरानी गार्ड और एक तालिबान लड़ाके की मौत भी हो गई. इससे दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा गया है. तालिबान बिल्कुल अडिग रवैया अख्तियार किए हुए हैं और वो इस मामले में जरा भी झुकने को तैयार नहीं है. उसने युद्ध तक की तैयारी कर ली है और इसी के तहत सीमा क्षेत्र में हजारों सैनिक और सैकड़ों आत्मघाती हमलावर भेजे हैं.

सूत्रों की मानें तो ईरानी सांसदों ने कुछ महीने पहले ही कहा था कि सिस्तान और बलूचिस्तान में स्थिति इतनी गंभीर है कि अगर पानी नहीं मिला तो मानवीय आपदा उत्पन्न हो जाएगी. पिछले साल 10,000 से अधिक परिवार प्रांत की राजधानी से भाग गए. बांध सूख रहे हैं और देश का 97 फीसदी से अधिक हिस्सा सूखे से बुरी तरह से प्रभावित है. सिंचाई के साधन न होने से करीब 2 करोड़ लोग शहरों की ओर पलायन कर गए.

बता दें कि ईरान और अफगानिस्तान के बीच 950 किलोमीटर लंबी सीमा है. दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर 1973 में हेलमंद नदी समझौता हुआ था, लेकिन संधि की न तो पुष्टि की गई और न ही पूरी तरह से अमल में आ पाई. अफगानिस्तान में ईरानी राजदूत हसन कजेमी कूमी कह चुके हैं कि पिछले साल ईरान को अपने हिस्से का सिर्फ 4 फीसदी पानी ही मिला.

ईरान और अफगानिस्तान की सीमा पर बहने वाली हेलमंद नदी का पश्चिमी हिंदुकुश पर्वत शृंखला में काबुल के पास उद्गम है. 1,150 किलोमीटर लंबी यह नदी हामन झील में गिरती है, जो अफगानिस्तान-ईरान सीमा पर फैली हुई है. ये झील ईरान में मीठे पानी की सबसे विशाल झील है. हेलमंद के पानी से भरी यह झील 4,000 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैली हुई है.